Jaipur News: नगर निगम हेरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर की अभियोजन स्वीकृति मिल गई है,लेकिन 2 महीने बाद भी जलदाय विभाग के इंजीनियर्स की स्वीकृति नहीं मिली है.अब सवाल ये है कि आखिरकार पीएचईडी इंजीनियर्स का दबदबा इतना बड़ा है कि जलदाय महकमा इंजीनियर्स की अभियोजन स्वीकृति नहीं दे रहा?


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कब मिलेगी अभियोजन स्वीकृति?


एसीबी ने पीएचईडी के चीफ समेत 13 इंजीनियर्स की अभियोजन स्वीकृति मांग रखी है,जलदाय महकमा अभियोजन स्वीकृति को दबा बैठा है.हैरानी की बात तो ये है ईडी और सीबीआई में पूरा मामला जा चुका है,इसके बावजूद भी एसीबी को अभियोजन स्वीकृति नहीं दी जा रही है. एसीबी ने दो महीने पहले जल जीवन मिशन घोटाले से अभियोजन की मंजूरी मांगी थी. जिसमें दो चीफ इंजीनियर,4 अधीक्षण अभियंता,4 अधिशाषी अभियंता,1 अकाउंटेंट सहित अन्य इंजीनियर्स की स्वीकृति मांग रखी है.लेकिन महीनों से जलदाय विभाग में ये स्वीकृति अटकी हुई है.ऐसे में अब ये सवाल उठने लगे है कि क्या मेयर से ज्यादा इंजीनियर्स का दबदबा दिखाई दे रहा है?



500 करोड़ तक पहुंच सकता है घपला-


दूसरी तरफ पदमचंद और महेश मित्तल के कार्यों की अब 100 फीसदी कार्यों की जांच होगी.पहले जल जीवन मिशन की टीम ने 10 प्रतिशत कार्यों की जांच की थी,जिसमें 50 करोड़ का घपला सामने आया था.ऐसे में अब 90 प्रतिशत जांच और होगी. जिसमें करीब 500 करोड़ तक का घपला सामने आ सकता है. श्री श्याम और गणपति ट्यूबवेल फर्म जल जीवन मिशन में जमकर लूट मचाई थी. सबसे बड़ी बात ये है कि बिना पाइप लाइन डलवाए इंजीनियर्स ने दोनों फर्मों को 90 प्रतिशत तक भुगतान कर दिया.



तीन रीजन्स में होगी जांच-



राज्य सरकार ने क्रॉस रीजन के अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं से जांच करवाई थी. जिसमें भारी अनियमितता सामने आई थी. अलवर,जयपुर 1,जयपुर 2 अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं को अब दोनों फर्मों की 100 प्रतिशत कार्यों की जांच करनी है. जिसके अलावा उन इंजीनियर्स पर भी कार्रवाई होगी. जिन्होंने दोनों फर्मों पर जमकर मेहरबानी दिखाई.