Syria: युवती को कंधे पर बिठाए बशर-अल-असद की तस्वीर वायरल, विद्रोहियों ने लूटा महल
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Syria: युवती को कंधे पर बिठाए बशर-अल-असद की तस्वीर वायरल, विद्रोहियों ने लूटा महल

Bashar-al-Assad's Private Pictures Viral: सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद की शर्टलेस और निजी तस्वीरें इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं. ये तस्वीरें विद्रोहियों ने असद के दमिश्क और अलेप्पो स्थित महलों पर कब्जा करने के बाद वायरल की हैं.

Syria: युवती को कंधे पर बिठाए बशर-अल-असद की तस्वीर वायरल, विद्रोहियों ने लूटा महल

Bashar-al-Assad's Private Pictures Viral: सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद की शर्टलेस और निजी तस्वीरें इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं. ये तस्वीरें विद्रोहियों ने असद के दमिश्क और अलेप्पो स्थित महलों पर कब्जा करने के बाद वायरल की हैं. बशर अल-असद ने 25 साल तक सीरिया पर शासन किया. विद्रोहियों के बढ़ते दबाव के कारण उन्हें भाग कर रूस में शरण लेनी पड़ी.

कैमरे और स्कूटर के साथ असद की तस्वीरें

तस्वीरों में असद को कई अनौपचारिक और अजीबोगरीब पोज़ में देखा जा सकता है. एक तस्वीर में वह कैमरे के साथ शर्टलेस सेल्फी लेते हुए नजर आ रहे हैं, तो दूसरी में वह केवल अंडरवियर में स्कूटर चलाते हुए दिख रहे हैं. एक अन्य तस्वीर में वह स्पीडो पहने अपने बाइसेप्स दिखा रहे हैं.

परिवार की निजी तस्वीरें भी वायरल

इन तस्वीरों में बशर अल-असद के पिता हाफ़िज़ अल-असद की भी एक तस्वीर शामिल है, जिसमें वह अंडरवियर में पोज देते हुए नजर आ रहे हैं. हाफिज अल-असद ने 2000 में अपनी मृत्यु तक सीरिया पर शासन किया था. इसके अलावा, बशर अल-असद की पत्नी के साथ उनकी तस्वीरें भी मिली हैं, जिनमें वह अपनी पत्नी को अंगूठी पहनाते और एक महिला को अपने कंधों पर बैठाए हुए दिख रहे हैं.

सोशल मीडिया पर मजाक और आलोचना

इन तस्वीरों के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर बशर अल-असद का खूब मजाक उड़ाया जा रहा है. अल जजीरा के पत्रकार साद अबेदीन ने इन तस्वीरों को साझा करते हुए कहा कि ये "लोगों को कई दिनों तक डरावने सपने देंगी." वहीं, सीरियाई पत्रकार हुस्साम हम्मौद ने असद परिवार की इन तस्वीरों को लेकर सार्वजनिक "फैंटेसी" की आलोचना की. उन्होंने लिखा, "असद परिवार को अंडरवियर में तस्वीरें खिंचवाने का इतना शौक क्यों है? यह समझना दिलचस्प होगा."

वायरल तस्वीरों का क्या मतलब?

इन तस्वीरों ने असद की छवि को और कमजोर किया है. एक ऐसा नेता जो कभी अपनी ताकत और सख्त शासन के लिए जाना जाता था, अब उनकी निजी तस्वीरें उनकी कमजोरियों और निजी जीवन को उजागर कर रही हैं. यह सीरिया के इतिहास में एक नया अध्याय है, जहां विद्रोहियों ने न केवल सत्ता को चुनौती दी, बल्कि एक तानाशाह की निजी जिंदगी को भी सार्वजनिक कर दिया.

असद का पहला बयान

महल पर कब्जे और तस्वीरों के वायरल होने के बाद बशर अल-असद ने अपना पहला बयान जारी किया. उन्होंने कहा, "सीरिया से मेरी विदाई न तो पहले से तय थी और न ही यह युद्ध के आखिरी पलों में हुई." असद ने बताया कि रूस ने उन्हें ड्रोन्स हमलों के खतरे के कारण तुरंत देश से बाहर निकाला. उन्होंने कहा, "मॉस्को ने 8 दिसंबर की शाम तत्काल निकासी का अनुरोध किया था."

विद्रोहियों के हमले से असद की सत्ता का पतन

बशर अल-असद ने 2000 में अपने पिता हाफिज अल-असद के बाद सत्ता संभाली थी. उनकी सरकार 8 दिसंबर को विद्रोही समूह हयात तहरीर अल-शाम (HTS) और उनके सहयोगियों के हमलों के कारण गिर गई. बता दें कि HTS पहले अल-कायदा से जुड़ा था. और इसने ही असद की मजबूत मानी जाने वाली पकड़ को खत्म कर दिया.

रूस में गुप्त रूप से भेजे $250 मिलियन

एक रिपोर्ट के मुताबिक बशर अल-असद की सरकार ने 2018 और 2019 के बीच सीरिया के केंद्रीय बैंक से लगभग $250 मिलियन कैश रूस भेजे. यह पैसा $100 और €500 के नोटों में था, जिसे मॉस्को के व्नुकोवो हवाई अड्डे पर जमा किया गया. यह लेन-देन तब हुई जब सीरिया रूसी सैन्य समर्थन पर निर्भर था. रिपोर्ट के अनुसार, असद ने पश्चिमी प्रतिबंधों से बचने के लिए ये कदम उठाए. इसी दौरान उनके परिवार ने मॉस्को में लग्जरी संपत्तियां भी खरीदीं. यह दिखाता है कि असद की सरकार ने प्रतिबंधों से बचने के लिए किस हद तक प्रयास किए.

विद्रोहियों ने महलों को लूटा

दमिश्क और अलेप्पो में असद के महलों पर कब्जा करने के बाद विद्रोहियों ने वहां से कीमती सामान लूट लिए. यह ऐसे देश में हुआ है जहां 2011 में शुरू हुए गृहयुद्ध के बाद से लग्ज़री का मतलब केवल एक और दिन जीवित रहना बन गया है.

गृहयुद्ध का बैकग्राउंड

सीरिया में 2011 में शुरू हुए गृहयुद्ध ने देश को बर्बादी की कगार पर पहुंचा दिया. बशर अल-असद के खिलाफ जनता का असंतोष और विद्रोहियों की बढ़ती ताकत ने देश को खून-खराबे और मानवीय संकट में धकेल दिया. असद ने अपने शासन के दौरान क्रूरता और तानाशाही का सहारा लिया, लेकिन विद्रोहियों और अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे उन्हें देश छोड़ना पड़ा.

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