Jaipur News: ABVP का 68वां राष्ट्रीय अधिवेशन, तोड़ा सदस्यता का अपना ही रिकॉर्ड
Jaipur News: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का 68वां राष्ट्रीय अधिवेशन जयपुर में आयोजित हो रहा है, जो 25 नवंबर से 27 नवंबर तक आयोजित होने जा रहे वो रिकॉर्ड तोड़ दिया है.
Jaipur: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का 68वां राष्ट्रीय अधिवेशन गुलाबी नगरी जयपुर में आयोजित हो रहा है. 25 नवंबर से 27 नवंबर तक आयोजित होने जा रहे इस राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है. देशभर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों की संख्या 45 लाख को पार कर चुकी है. पिछले साल की अगर बात की जाए तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों की संख्या करीब 33 लाख थी और पिछले एक साल में ही एबीवीपी के सदस्यों की संख्या करीब डेढ़ गुना तक बढ़ गई है.
साथ ही राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा कि एक बार फिर से अभाविप ने विश्व के सबसे बड़े छात्र संगठन होने का विश्व कीर्तिमान बनाया है. इस वर्ष अभाविप ने 11 नवंबर 2022 तक 45 लाख 46 हजार 845 सदस्यता की है जो पिछले वर्ष करीब 33 लाख के मुकाबले डेढ़ गुना से भी अधिक है. इस प्रकार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने अपना ही कीर्तिमान स्वयं तोड़ रहा है.
गौरतबल है कि 25 नवंबर को योगगुरु बाबा राम देव द्वारा राष्ट्रीय अधिवेशन का भव्य उद्घाटन किया गया. इससे पहले प्रस्तावित सत्र में अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी का प्रस्ताव अभिभाषण हुआ और उन्होंने इस वर्ष के अधिवेशन में अभाविप के वर्ष भर के कार्यों का ब्योरा किया. राष्ट्रीय अध्यक्ष छगन भाई पटेल ने कहा कि हम बहुत सौभाग्यशाली हैं की राष्ट्र की स्वतंत्रता के और परिषद के 75 वर्ष एकसाथ पूर्ण हो रहे हैं.
इस अवसर पर हम वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जिन्होंने हमारी स्वतंत्रता बनाए रखने हेतु युद्ध किया उनकी धरती पर एकत्रित हुए हैं. सर्वस्पर्शी इस अधिवेशन में देश की हर विद्या शाखा से छात्र यहां आया है. अब हमारी सदस्यता पहले से भी डेढ़ गुना बढ़ गई है. राष्ट्र के प्रत्येक भाग से कार्यकर्ता हमसे जुड़ा, फिर चाहे वह पूर्वोत्तर राज्य हों, जम्मू कश्मीर हो या लद्दाख ही क्यों न हों, अब तो अरुणाचल प्रदेश में अभाविप के 12 विस्तारक आगे आकर राष्ट्र पुनर्निर्माण के कार्य में जुटे हैं. राष्ट्रीय अधिवेशन के पहले दिन शाम को विभिन्न प्रांतों से आए हुए सदस्यों ने अपने-अपने प्रदेशों की संस्कृति की झलक छोड़ते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी.
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