Rajasthan assembly first session :  राजस्थान में नई विधानसभा के गठन के बाद पहली बैठक भी हो ही गई. अब प्रदेश के विकास के काम की बात होगी, सरकार ज़रूरत के हिसाब से नये कानून बनाएगी. सभी वर्गों को राहत पहुंचाने की कोशिश करेगी.


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सदन में वाद-विवाद भी होगा, बहस भी होगी, लेकिन इससे पहले सदन में सनातन छाया दिख रहा है. 16 वीं विधानसभा के पहले दिन सदन में भगवा पहने नेता दिखे, संस्कृत में शपथ हुई तो जय सनातन के नारे भी दिखे. शपथ का एक रोचक पहलू यह भी था कि अल्पसंख्यक तबके से आने वाले दो विधायकों ने भी संस्कृत में शपथ ली.


अब सवाल यह है कि क्या यह सदन सनातनी स्वरूप ले रहा है या कथित तौर पर उठने वाले ध्रुवीकरण के मुद्दे के तोड़ के रूप में यह शुरूआत की गई है.


16 वीं विधानसभा के पहले सत्र की पहली बैठक में विधायकों की शपथ हुई. शपथ के दौरान विधायकों का अलग अन्दाज़ दिखा. कहीं भगवा छटा दिखी तो कहीं भाषा की विविधता दिखी. इसी दौरान विधायकों की तरफ़ से लगाए गए रोचक नारों की भी चर्चा रही.


सदन में पहले दिन भगवा रंग छाया रहा. तकरीबन 50 से ज्यादा विधायक भगवा रंग में रंगे दिखे. अलवर से बीजेपी के विधायक संजय शर्मा ने तो जय सनातन का नारा भी लगाया. इसी तरह कई विधायकों ने जय गुरू महाराज, जय जवान-जय किसान, जय भीम, भारत माता की जय, वन्दे मातरम-जय श्रीराम, जय नागणेचा माता, जय वीर तेजाजी, जय भारत, जय राजस्थान, जय सियाराम, जय बालाजी, जय प्रकृति माता के नारे लगाए, तो भारतीय आदिवासी पार्टी के विधायकों ने अपने पूर्वजों और प्रकृति माता को याद करते हुए शपथ ली.


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बीजेपी के कई विधायकों ने संस्कृत में शपथ ली और इसमें कोई चौंकाने वाली बात नहीं थी, लेकिन सदन के सदस्य और पत्रकार दीर्घा में बैठे खबरनवीस उस वक्त हैरान रह गए जब कांग्रेस विधायक ज़ुबेर खान ने भी संस्कृत में शपथ ली.


थोड़ी ही देर बाद निर्दलीय विधायक और बीजेपी की पूर्ववर्ती सरकार में मन्त्री रहे यूनुस खान ने भी संस्कृत में शपथ ली. ज़ुबेर खान से इस पर बात हुई तो उन्होंने कहा कि वे पहले भी संस्कृत में शपथ ले चुके हैं. ज़ुबेर ने कहा कि वे इस्लाम को मानते हैं, लेकिन वे हिन्दुस्तानी मुसलमान हैं.


उधर बीजेपी ने भी ज़ुबेर खान और यूनुस खान की तरफ़ से संस्कृत में शपथ लेने के उनके फ़ैसले का स्वागत किया. बीजेपी विधायक स्वामी बालमुकुंद ने कहा कि संस्कृत देवभाषा है और अलग मुस्लिम समाज से आने वाले विधायक भी संस्कृत में शपथ लेते हैं तो यह अच्छी बात है. विधायक गोपाल शर्मा ने भी ज़ुबेर खान और यूनुस खान की पहल को सराहा.


दूसरी तरफ़ एक नज़ारा वह भी था जब विधायक रफीक खान ने शपथ के समय ईश्वर के साथ खुदा के नाम पर शपथ ली. हालांकि बाद में चेयर पर बैठे डॉक्टर किरोड़ीलाल मीणा ने खुदा शब्द हटवा दिया. किरोड़ी ने कहा कि शपथ के अतिरिक्त जो कोई बात कही जा रही है उसे कार्यवाही से हटाया जाए.


संस्कृत में शपथ पहले भी हुई है और आगे भी होगी,  लेकिन सवाल यह है कि क्या इसे अल्पसंख्यक वर्ग से आने वाले विधायकों की कोई उदार पहल के रूप में देखा जाए. क्या यह माना जाए कि बीजेपी पर कांग्रेस की तरफ़ से लगने वाले ध्रुवीकरण के आरोपों से निकलने और अपनी उदार छवि बनाने के लिए विधायकों ने ऐसा किया.


सवाल यह भी कि क्या यह सदन का सनातनी स्वरूप है और अगर ऐसा है तो क्या इसमें सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास शामिल है.