Rajasthan Old name: आज हम बात करने जा रहे हैं भारत के एक ऐसे राज्य के बारे में जो अपने संस्कृत, कला वीरों की भूमि आदि नामों से सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विश्व में एक अलग पहचान रखता है. हम बात कर रहे हैं भारत के राजस्थान राज्य की राजस्थान भारत का एक ऐसा राज्य है, जहां पर्यटकों की भरमार रहती है, राजस्थान में देश के साथ-साथ विदेश के भी लोग घूमने आते हैं. 


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जब बात छुट्टियों में कहीं घूमने जाने की होती है, तो लोगों के दिमाग में सबसे पहले राजस्थान का ही नाम आता है या वीर सपूतों की बात होती है तो ऐसे में राजस्थान का ही नाम पहले आता है. ऐसे में क्या आपको पता है कि राजस्थान राज्य का नाम राजस्थान कैसे पड़ा या फिर राजस्थान का पुराना नाम क्या था? आज हम आपको बताएंगे कि राजस्थान का पुराना नाम क्या था और उसका पुराना नाम बदलकर राजस्थान नाम कैसे पड़ा.


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राजस्थान का पुराना नाम


आजादी से पहले राजस्थान को 'राजपूताना' के नाम से जाना जाता था. इतिहासकारों का मानना है कि जार्ज थॉमस ने साल 1800 में राजस्थान को 'राजपूताना' नाम दिया था. वर्तामान समय से ठीक 75 साल पहले साल 1949 में राजस्थान भारत का हिस्सा बना था. उससे पहले राजस्थान में कई स्वतंत्र रियासतें हुआ करती थीं. राजस्थान में कुल 22 रियासतें हुआ करती थीं. 


जोधपुर रियासत उस समय में राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत हुआ करती था. अगर वहीं बात करें अजमेर-मेरवाड़ा रियासत अंग्रेजों के अधीन थी.  आज हम जिस राज्य को राजस्थान के नाम से जानते हैं किसी समय में उसका नाम ये नहीं बल्कि कुछ और हुआ करता था. दरअसल जिस राज्य को आज हम राजस्थान के नाम से जानते हैं पहले उसे हम राजपूत के नाम से जानते थे. 


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राजस्थान का पुराना नाम राजपूताना था. पहले राज्सथान को राजपूत कहा जाता था. अंग्रेज जार्ज थॉमस ने इसे राजपूत नाम दिया था. जब राजस्थान को राजपूताना नाम दिया गया था. उस समय राजस्थआन में राजपूत राजाओं का राज था. जिसके वजह से अंग्रेज जार्ज थॉमस ने इसे राजपूताना नाम दिया था. 


कैसे बदला राजस्थान का पुराना नाम 


आजादी के बाद जब राजस्थान की सभी रियासतों को भारत में मिलाया गया. तब से इस राज्य को राजस्थान नाम से जाना जाने लगा. तब से लेकर अब तक लोग इस राज्य को राजस्थान नाम से ही जानते हैं. राजस्थान नाम को रखने के पीछे इसकी सबसे बड़ी वजह यह भी है कि यहां बहुत से राजा और राजघराने थे. 


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जिससे इसका नाम राजस्थान रखा गया. राजस्थान का मतलब राजाओं का स्थान होता है. राजस्थान का ही संस्कृत रूप राजस्थान बना जिसका अर्थ है, राजाओं का स्थान, रियासतों के विलय के बाद जब एकीकृत राज्यों के नाम दिए गए तब राजस्थान नाम को ही स्वीकृति दी गई.


30 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है राजस्थान दिवस 


14 जनवरी 1949 को उदयपुर की एक सार्वजनिक सभा में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर रियासतों के सैद्धांतिक रूप से विलय की घोषणा की. इस घोषणा को मूर्त रूप देने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जयपुर में 30 मार्च 1949 को एक समारोह में वृहद् राजस्थान का उद्घाटन किया. जिसके बाद से राजस्थान दिवस हर वर्ष 30 मार्च को मनाया जाता है.


आजादी के वक्त राजस्थान में थी 22 रियासतें


आजादी के वक्त राजस्थान में कुल 22 रियासतें थी. वर्तमान राजस्थान में तत्कालीन 19 देसी रियासतों में राजाओं का शासन हुआ करता था. जबकि तीन रियासतों (नीमराना, लव और कुशालगढ़ ) में चीफशिप थी. यहां के अजमेर मेरवाड़ा अंग्रेजों के अधीन था, इसलिए यह स्वतः ही स्वतंत्र भारत में शामिल हो जाती, तत्कालीन रियासतों के विलय की प्रक्रिया 18 मार्च 1948 से एक नवंबर 1956 तक चली. इस प्रक्रिया को सात चरणों में पूरा किया गया था.