Jaipur News: जलदाय विभाग में फर्जीवाड़े का नाम थमने का नाम नहीं ले रहा है. आचार संहिता से ठीक पहले इंजीनियर्स ने 19 करोड़ के टैंडर में बड़ा खेल कर दिया और वो भी उस फर्म के नाम पर जिस पर फर्जी रजिस्ट्रेशन आरोप लगे है. नियमों की धज्जियां उड़ाई गई, लेकिन इसके बावजूद उच्च स्तर तक अफसर खामोश है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

नियमों को ताक पर रख काम शुरू 
राजस्थान के जल जीवन मिशन में 900 करोड़ के भ्रष्टाचार का मामला अभी थमा ही नहीं था कि जलदाय विभाग के इंजीनियर्स ने फर्मों से मिलीभगत कर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए फर्जीवाड़ा करना शुरू कर दिया. पहले फर्जी रजिस्ट्रेशन की आरोपी फर्म मैसर्स बीएसआर फर्म को नागौर में थ्री फेस ट्यूबवेल के लिए 19 करोड़ का टैंडर दिया, लेकिन भी टैंडर की शर्तों का ताक पर रखकर काम शुरू करवा दिया. 


टैंडर नियमों के तहत बीएसआर फर्म को QAP करना जरूरी था, लेकिन फर्म को बिना QAP के ही काम की मंजूरी दे दी है. जिम्मेदार अधीक्षण अभियंता रामचंद्ररार का कहना है कि मुझे काम शुरू होने की जानकारी नहीं है. वहीं XEN महेंद्र कांटीवाल ने कहा कि QAP की जरूरत नहीं. जबकि टैंडर में QAP की शर्त का उल्लेख है. टेंडर की शर्त में MS पाइप, केबल, पंप के लिए QAP जरूरी है, लेकिन आनन फानन में विभाग ने 6 अक्टूबर को ही टैंडर आदेश, एग्रीमेंट और सब ऑर्डर दे दिया. लेकिन QAP की ही नहीं. ऐसे में सवाल ये है मटेरियल की बिना गुणवत्ता जांचे कैसे काम शुरू हो गया.


यह भी पढ़ेंः Rajasthan BJP First List: BJP की पहली सूची जारी, किरोड़ी-बालकनाथ-दिया कुमारी समेत 7 सांसदों को टिकट, देखें पूरी लिस्ट


फर्जीवाड़ा रजिस्ट्रेशन शिकायत, एसीएस-चीफ खामोश 
पीएचईडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल से डबल ए क्लास बीएसआर फर्म की शिकायत की गई थी, जिसमें प्राइवेट कंपनी साउथ वेस्ट पीनाकल के अनुभव पत्र से फर्जी पत्र लेने का जिक्र किया. नियमों के तहत सरकारी विभाग से काम का अनुभव जरूरी है. पीएचईडी में कंस्ट्रक्शन के साथ कमीश्निंग की एक्सपीरियंस आवश्यक है, लेकिन सब-कॉन्ट्रेक्टर के रूप में लिए गए अनुभव प्रमाण पत्र में भी हेराफेरी की. फर्जी रजिस्ट्रेशन और टैंडर में शर्तों को दरकिनार करने के मामले में एसीएस सुबोध अग्रवाल खामोश है. उनसे हमने सवाल इस संबंध में सवाल पूछने की कोशिश की, लेकिन वे अब तक चुप्पी साधे है.


ईडी की पूछताछ, फोन पर बातचीत बंद 
एसीएस ने जांच रिपोर्ट चीफ इंजीनियर आरके मीणा को दी थी. ज़ी मीडिया ने आरके मीणा से बार-बार संपर्क किया, लेकिन आरके मीणा ने कोई जवाब नहीं दिया. जेजेएम में 900 करोड़ के भ्रष्टाचार के मामले में ईडी की पूछताछ के बाद आरके मीणा ने फोन पर बात करना भी बंद दिया. उनका फोन स्विच ऑफ है. स्टॉफ के पास भी उनके दूसरे मोबाइल नंबर ही नहीं.


यह भी पढ़ेंः राजस्थान में बीजेपी ने इन 7 सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा, यहां देखिए पूरी लिस्ट


नियम क्या कहते हैं? 
लोक निर्माण वित्तीय लेखा नियम के परिशिष्ठ 16 के नियम 1''8 के तहत फर्मों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है. यदि दस्तावेज पूरे नहीं है और कार्य अनुभव, टर्नओवर में कोई गंभीर खामी है तो उन्हें रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा सकता. नियम 334 और परिशिष्ठ 16 के तहत पीडब्लूडी के अलावा अन्य विभागों में किए गए कार्यों के लिए उन अधिकारियों के प्रमाण पत्रों की मूल या सत्यापित प्रतियां संलग्न की जानी चाहिए, जिनके अधीन कार्य किए गए थे. अब सवाल ये है आखिर जिम्मेदार खामोश क्यों है ,क्या जलदाय विभाग में इसी तरह का फर्जीवाड़ा चलता रहेगा?