Rajasthan big News: राजस्थान में ग्राउंड वाटर की स्थिति दिनों के दिन भयावह होती जा रही है, यदि आज इसे नहीं रोका तो आने वाला भविष्य और ज्यादा खतरनाक हो सकता है. जल संकट की स्थिति से निपटने के लिए राजस्थान सरकार ग्राउंड वाटर रेगुलेशन एक्ट लाने की तैयारी कर रही है. इस एक्ट में कठोर निर्णय लिए जाएंगे. एक्ट के तहत राजस्थान में निजी इंडस्ट्रीज और घरेलू ट्यूबवेल्स खुदाई पर बैन लगाए जाएंगे. 


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राज्य में जो इंडस्ट्रीज चल रही हैं, उनमें टेलीमेट्रिक डिजिटल वाटर मीटर लगाए जाएंगे यानि इंडस्ट्री को उनकी क्षमता के मुताबिक ही पानी मिल पाएगा. वहीं नई इंडस्ट्रीज को पानी के लिए वाटर रिचार्ज की शर्त पर एनओसी देनी होगी. भूजल और जलदाय सचिव डॉ. समित शर्मा का कहना है कि इस दिशा में विभाग द्वारा कदम उठाए जाएंगे.


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देश में 35 प्रतिशत बचत लेकिन राज्य में घाटा


केंद्र सरकार के भूजल रेगुलेशन एक्ट के तहत केंद्रीय भूजल बोर्ड की गाइडलाइन भी राजस्थान में लागू है. जिसके तहत निजी और इंडस्ट्रीज के ट्यूबवेल की खुदाई पर रोक नहीं है. पूरे भारत में 100 में 65 प्रतिशत पानी का उपयोग किया जा रहा है, जबकि 35 प्रतिशत पानी की बचत होती है. लेकिन राजस्थान में इससे उलट 150 प्रतिशत पानी जमीन से खींचा जा रहा है. इसलिए राज्य में ट्यूबवेल की लगाम लगाना बेहद जरूरी है.


500 करोड़ का सेस वाटर रिचार्ज में काम आएगा


राज्य में करीब 4 लाख इंडस्ट्रीज हैं, जिसमें से महज 20 से 25 हजार इंडस्ट्रीज ही ऐसी हैं जो रजिस्टर्ड हैं, बाकियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो रखा है. रजिस्टर्ड इंडस्ट्रीज से सिर्फ 40 से 45 करोड़ सालाना सेसमिल पा रहा है. वो भी केंद्रीय भूजल बोर्ड की गाइडलाइन के मुताबिक केंद्र को ही जा रहा है, लेकिन राज्य में भूजल एक्ट बनने के बाद सभी इंडस्ट्रीज रजिस्टर्ड होती हैं, तो करीब राज्य को 400 से 500 करोड़ सेसमिल पाएगा. जिसका उपयोग राजस्थान सरकार भूजल रिचार्ज में लगाने के लिए करेगी. भूजल रिचार्ज के लिए अलग से बजट की आवश्यकता भी नहीं होगी.


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जिलों में बनेगी कमेटियां


भूजल एक्ट को लागू करने के बाद भूजल बोर्ड बनाया जाएगा. जिसमें भूजल विभाग के साथ जलदाय विभाग, पंचायतीराज, यूडीएच को शामिल किया जाएगा. राजस्थान के हर जिले की भौगोलिक परिस्थिति अलग-अलग है, इसलिए जिला स्तर पर भी कमेटियां बनाई जाएंगी, वो कमेटियां जिलों के मुताबिक ही नियम बनाएंगी. हालांकि निजी इंडस्ट्रीज ट्यूबवेल के साथ-साथ सरकारी ट्यूबवेल खुदाई पर लगाम लगने की जरूरत है.