Rajasthan Panchayat Chunav 2025: राजस्थान पंचायत चुनाव के फैसले से पहले सरपंचों ने जयपुर कूच करने का फैसला लिया है. सरपंच चुनाव से पहले गांव में प्रशासक लगाने का विरोध कर रहे हैं. आपको बताते हैं कि आखिर क्यों सरपंच गांवों में प्रशासकों के खिलाफ सुर मुखर किए हुए हैं?


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


राजस्थान में गांव की सरकार इन दिनों पंचायत चुनाव की वजह से ''प्रेशर पॉलिटिक्स'' का सहारा ले रही है. राजस्थान में 40 प्रतिशत पंचायतों का कार्यकाल जनवरी में पूरा हो रहा है. इसी कारण सरपंचों को आशंका है कि निकायों की तरह पंचायतों में भी प्रशासक लगाकर उनके हाथ से कुर्सी छीन ली जाएगी. 



प्रशासकों का विरोध क्यों कर रहे हैं सरपंच
सरपंचों का आशंका है कि प्रशासक लगने पर सरपंचों के सभी अधिकार खत्म हो जाएंगे.
सरपंच चाहते या तो तय समय पर चुनाव हो,या 'वन स्टेट वन इलेक्शन' की तर्ज पर चुनाव
प्रशासक नहीं लगाकर सरपंचों को पंचायतों का चेयरमैन बनाकर सभी अधिकार उन्हें ही दिए जाएं

अपनी मांग को लेकर सरपंच ग्रामीण विकास मंत्री किरोड़ीलाल मीणा से मुलाकात कर चुके है. जिसके बाद सरपंचों ने जयपुर कूच का ऐलान कर दिया.6 दिसंबर को प्रदेशभर के सरपंच जयपुर कूच करेंगे.इसी बीच सरकार की तैयारियों के बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने जनवरी में पंचायत चुनाव करवाने की तैयारी शुरू कर दी है. राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव के लिए वोटर लिस्ट अपडेट करने के लिए प्रगणक नियुक्त करने को कहा है. 



गौरतलब है कि,पंचायतों में प्रशासक लगने पर सरपंच और वार्ड पंच नहीं रहते. पंचायत के सारे अधिकार प्रशासक के पास ही रहते हैं. जो विकास के काम सरपंच स्तर पर होते थे,वे प्रशासक मंजूर करता है. पंचायती राज और शहरी निकायों के चुनाव 5 साल में करवाने की कानूनी बाध्यता है. विशेष परिस्थितियों में ही इसे टालने का प्रावधान है. 



इसके लिए भी सुप्रीम कोर्ट तक जाना होता है. हालांकि पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर कह चुके है कि पंचायत चुनाव का फैसला कैबिनेट लेगी. 



वन स्टेट वन इलेक्शन में फिलहाल कानूनी अड़चन



वन स्टेट वन इलेक्शन को लेकर कई तरह की कानूनी अड़चनें हैं. कानूनी दिक्कतों को दूर करने के लिए सरकार में अलग-अलग स्तर पर मंथन चल रहा है