Rajasthan Pride, Shiv Abhishek : दुनियाभर में भगवान भोलेनाथ के लाखों भक्त हुए हैं. किसी ने उनके लिए सालों-साल तपस्या की, तो किसी ने उनके लिए अपने सिर की बलि तक चढ़ा दी. भागवान शिव (lord shiva) को हमेशा जल्द प्रसन्न हो जाने वाले देवताओं में गिना जाता है. हिंदू पुराणों में भी ऐसा उल्लेख है कि, नीलकंठ को अगर फूल और बिल्वपत्र भी पढ़ाया जाएं, तो वो खुश हो जाते हैं. हम यहां राजस्थान (Rajasthan) के एक ऐसे ही शिव मंदिर (Shiv Mandir) और उनके भक्त की कहानी बताने जा रहे हैं, जो गंगाधर को खुश करने के लिए इंग्लैंड से इत्र मंगवाते हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी पति की याद में एक बहुत बड़ा भवन भी बनवाया है, जहां सावन में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा के लिए दूर-दूर से लोग इकट्ठे होते हैं.


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चूरू के ताजमहल में मौजूद है भगवान शिव का मंदिर


राजस्थान (Rajasthan) के चूरू (Churu) से करीब 35 किमी दूर, 70 साल पहले सेठ हजारीमल (Seth Hazarimal) की धर्मपत्नी सरस्वती देवी और उनके दत्तक पुत्र ने उनकी याद में एक संगमरमर का बड़ा सा भवन बनवाया था, जिसे लोग राजस्थान के ताजमहल या चूरू के ताजमहल के नाम से भी जानते हैं. इसे हू-ब-हू ताजमहल की तरह तैयार किया है. इस भवन के पास भगवान भोलेनाथ का एक विशाल Shiv Mandir भी बनवाया गया है, जहां सावन के महीने में खूब श्रद्धालु जुटते हैं. 


आस-पास के गांवों में फैली इंग्लैंड के इत्र की खुशबू



बताया जाता है, कि यहां के शिव मंदिर में भगवान भोलेनाथ के लिए इंग्लैंड से इत्र मंगवाया जाता है. यहां के एक ग्रामीण बताते हैं, कि जब चूरू के इस मंदिर में भगवान शिव की स्थापना हुई, तो भगवान भोलेनाथ का इत्र से अभिषेक किया गया. उन्होंने बताया, कि यह इत्र इंग्लैंड से खासतौर पर मंगवाया गया था.  भगवान शिव के अभिषेक के दौरान यह इत्र बह गया, जिसे गांव वालों ने बोतलों में भर लिया. इस इत्र की ख़ुशबू आस-पास के गांवों तक फैल गई. तभी से सावन माह में यहां विशेष पूजा के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. खासतौर पर, शिवरात्री को भारी तादाद में भोलेनाथ के दर्शन के लिए लोग यहां आते हैं.


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