Jaipur में पॉश कॉलोनियों में बारिश से टूटी सड़कें, रिपेयर करना भूला PHED
जयपुर में पॉश एरिया राजापार्क में पानी की लाइन डालने के बाद हर गली में सड़कें खोदने के बाद जर्जर हो गई है जबकि यहां साल 2020 में ही नगर निगम चुनावों से पहले सड़कों पर डामरीकरण करके रिन्यूएबल की गई.
Jaipur: कमजोर पानी निकासी प्रबंधन हर साल सरकार को लाखों रुपये का झटका दे रहा है. इसके बाद भी सरकार के पास बेहतर पानी निकासी के प्रबंधन को लेकर कोई प्लान नहीं है.
अफसरों को भी मरम्मत के कार्यों से इतना मोह है कि वह स्थायी इंतजाम करने के प्रस्तावों से सोशल डिस्टेंस (Social Distance) बनाए हुए हैं. राजधानी जयपुर शहर (Jaipur City) की सड़कें इस बार बारिश में तो बदहाल हो ही गईं, लेकिन पब्लिक हेल्थ एण्ड इंजीनियरिंग डिपोर्टमेंट (Public health Engineering Department) और टेलीकॉम कंपनियों के कारण भी शहर में कई कॉलोनियों और मुख्य सड़क को तोड़ने में कोई कमी नहीं छोड़ी. इस कारण इन सड़कों पर मामूली बारिश में ही पानी भरने और सड़कों पर आने-जाने में लोगों को परेशानी होने लगी है.
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पिंक सिटी की सड़क समझ कर सरपट भागने की कोशिश जानलेवा हो सकती है क्योंकि इस नाम से चर्चित इस शहर की सड़कों की हालत वैसी नहीं हैं. कारण गड्ढे में सड़क है, या फिर सड़क में गड्ढे यह पता भी नहीं चलेगा. इनमें कुछ तो डेंजर जोन के रूप में मुंह बाए खड़ी है. शहर की हालत ऐसी है कि सड़कों पर कभी सीवरेज का पानी जमा रहता है, तो कभी बारिश का. ऐसे में इन गड्ढों वाली सड़कों की हालत ऐसी बन चुकी है कि सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी. लाखों खर्च कर बनाई इन सड़कों की दशा और दुर्दशा को देखने वाला कोई नहीं है. दिन के समय में तो फिर भी गनीमत है, पर रात का सफर तो बिल्कुल ही नहीं.
जयपुर में पॉश एरिया राजापार्क में पानी की लाइन डालने के बाद हर गली में सड़कें खोदने के बाद जर्जर हो गई है जबकि यहां साल 2020 में ही नगर निगम चुनावों से पहले सड़कों पर डामरीकरण करके रिन्यूएबल की गई. यहां जुलाई, अगस्त महीने में पीएचईडी ने पानी की लाइन बिछाने का काम करवाया था लेकिन उसके बाद से अब तक यहां सड़कों का रिन्यूएबल नहीं किया गया. रिपेयरिंग के नाम पर कुछ जगह सड़कों पर मिट्टी-मलबा डाल दिया, तो कुछ जगह मिट्टी के कट्टे भरवा दिए जबकि नियमानुसार पानी की लाइन डालने के बाद डब्ल्यूबीएम से रोड को रिपेयर किया जाना चाहिए. राजापार्क एरिया में रोड टूटने के बाद यहां आने-जाने वालों को भारी परेशानी होती है.
आंकड़ों का गणित
हर साल बारिश से टूटती है सड़क- 700 करोड़ की
6 साल में मरम्मत पर खर्च- 3600 करोड़
इस साल मरम्मत के लिए राशि मंजूर होगी- 1 हजार करोड़
कितने स्थानों पर बारिश से बही सड़क- 1110
जलभराव वाले स्थानों की डीपीआर बनी- 319
बीसलपुर लाइन डालने के बाद रोड को अब तक रिपेयर नहीं किया गया
बता दें कि जयपुर में करीब 10 हजार करोड़ किलोमीटर का रोड नेटवर्क है, जिसमें 7 हजार किलोमीटर का रोड नेटवर्क जेडीए क्षेत्राधिकार में आता है जबकि 3 हजार किलोमीटर के करीब नगर निगम और हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र में आता है. जयपुर शहर के मुख्य वीआईपी एरिया गांधी नगर, टोंक रोड, जेएलएन मार्ग, सिविल लाईन्स, सी-स्कीम क्षेत्र में तो सड़कें ठीक है, लेकिन आउटर एरिया में हालात खराब है. मानसरोवर, पृथ्वीराज नगर नॉर्थ में बजरी मंडी रोड, करणी पैलेस रोड, जगतपुरा में इंदिरा गांधी नगर जाने वाला मुख्य रोड, 7 नंबर बस स्टैण्ड से रामनगरीय थाना जाने वाला मुख्य रोड खराब है. इसी तरह गोनेर रोड पर बीसलपुर लाइन डालने के बाद रोड को अब तक रिपेयर नहीं किया गया.
दरअसल, प्रदेश में पिछले डेढ़ महीने में लगभग 700 करोड़ की सड़क बह गई. इस राशि से प्रदेश के 24 नगर निकायों में आसानी से जल प्रबंधन के स्थायी इंतजाम किए जा सकते थे. अब बारिश से जर्जर सड़कों के लिए नगर निकाय व सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से बजट के प्रस्ताव भिजवाए जा रहे हैं. इस साल भी प्रदेश में टूटी सड़कों पर दीवाली से पहले एक हजार करोड़ रुपये खर्च होने लगभग तय है. पिछले छह साल में स्वायत्त शासन व सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से 3600 करोड़ रुपये बारिश से टूटी सड़कों के पेचवर्क में खर्च किए गए. इसके अलावा ग्राम पंचायत सहित कई अन्य एजेंसी की ओर से भी 570 करोड़ रुपये से ज्यादा इस मद में खर्च किए गए हैं.
पिंकसिटी में सड़कों की स्थिति खराब
- एयरपोर्ट 200 फीट रोड से मौसम विभाग, आबकारी थाना होते हुए हल्दी घाटी तक जाने वाली प्रभुदयाल मार्ग.
- 200 फीट हीरापुरा पावर हाउस अजमेर रोड से सिरसी अण्डरपास तक एक्सप्रेस हाइवे की सर्विस रोड पर जगह-जगह गड्ढे हो रहे हैं.
- टोंक रोड पर पिंजरा पोल गौशाला से श्योपुर तक जाने वाली रोड जगह-जगह से टूटी चुकी है.
- सांगानेर पुलिया से चौरड़िया पैट्रोल पम्प जाने वाले रोड पर जगह-जगह गड्ढे हो रहे हैं.
- राजस्थान पुलिस अकेडमी से विद्याधर नगर को जोड़ने वाली मुख्य आरपीए रोड बारिश में जर्जर हो गई.
- अम्बाबाड़ी पुलिया से झोटवाड़ा पुलिया तक निर्माणाधीन एलीवेटेड रोड के नीचे.
- सी-जोन पुलिया से जोडला पावर हाउस तक सीकर बाइपास की सर्विस लेन जगह-जगह खुर्द-बुर्द हो गई है.
- गोपालपुरा बाइपास पुलिस चौकी से दुर्गापुरा आरओबी डालडा फैक्ट्री तक जाने वाली महावीर नगर की मुख्य मंदिर रोड जगह-जगह से टूटी पड़ी है.
- टोंक रोड न्यू लाइट कॉलोनी से गोपालपुरा बाइपास को कनेक्ट करने वाली रोड टूट चुकी है.
सड़कों के लिए नहीं है स्थायी समाधान
बहरहाल, सड़कों के बारिश के मौसम में कमजोर पानी निकासी की वजह से टूटने को लेकर सर्वे किया गया. सर्वे में सामने आया कि हर साल राजस्थान में 700 करोड़ से अधिक की सड़क टूट जाती है लेकिन सरकार इसको प्राकृतिक आपदा मानकर मरम्मत के लिए बजट जारी करती है. इसको सभी सरकारों ने परम्परा बना दिया है लेकिन इसके स्थायी समाधान के लिए कभी कोई प्रयास नहीं किए गए. पिछले छह साल में जितना पैसा सरकार ने सड़कों की मरम्मत पर खर्च किया है उससे चौथाई से ज्यादा स्थानों पर पानी निकासी के स्थायी इंतजाम किए जा सकते थे.