Jaipur: आवासन मंडल की ओर से मानसरोवर शिप्रा पथ (Mansarovar Shipra Path) पर नए रूप में विकसित किए श्री झूलेलाल तिब्बती मार्केट का नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल (Shanti Dhariwal) ने फीता काटकर उद्घाटन किया. 


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व्यवसाय के लिए पिछले करीब 40 वर्ष से स्थायी स्थान की तलाश कर रहे तिब्बती शरणार्थियों ने भाव-विभोर होते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot), यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और आवासन आयुक्त पवन अरोड़ा (Pawan Arora) का आभार जताया. 


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पिछले 13 वर्षों से बंद मार्केट शुरू नहीं हो पा रहा था. इसके दो बड़े कारण थे. एक तो यहां दुकानें छोटी थी और दूसरा मुख्य सड़क से बाजार का कोई सीधा सम्पर्क नहीं था. वहां के स्थानीय लोग कचरा डालने लगे थे. आवासन मंडल द्वारा इस बाजार को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए तीन सम्पर्क ब्रिज बनाने के साथ यहां हेरिटेज लाइटिंग की गई. इसके साथ ही यहां रंग-रोगन और मूलभूत सुविधाओं को सुधार कर पार्किंग की समुचित व्यवस्था की गई. यहां 266 दुकानें तिब्बती शरणार्थियों को आवंटित की गई हैं. 


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यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने आवासन आयुक्त पवन अरोड़ा की तारीफ करते हुए कहा कि आवासन मंडल के प्रयासों से यह मार्केट जीवंत हो गया है. वर्ष 2003 में राज्य सरकार द्वारा जब ऑपरेशन पिंक चलाया, तब मानसरोवर योजना में स्थित थड़ी होल्डर्स के पुर्नवास के लिए स्थाई दुकानों के निर्माण के लिए जयपुर नगर निगम द्वारा सर्वे करवाया गया. इस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर इन थड़ी होल्डर्स के पुर्नवास के लिए झूलेलाल मार्केट की प्लानिंग की गई. इस मार्केट में दुकान लेने के लिए 355 योग्य आवेदकों ने पंजीकरण कराया. इस सर्वे रिर्पोट के आधार पर ही 4098.33 वर्गमीटर के भूखंड पर तीन मंजिला झूलेलाल मार्केट का निर्माण कर 526 दुकानें 10 करोड़ रुपये की लागत से इन लोगों के लिए बनाई गई थी. यहां तिब्बती शरणार्थियों को दुकान आवंटन से लोगों को साल भर अच्छी क्वालिटी के कपड़े मिल सकेंगे. 


क्या बोले आयुक्त पवन अरोड़ा 
आयुक्त पवन अरोड़ा ने बताया कि तिब्बती शरणार्थियों के आने के बाद स्थानीय थड़ी-ठेला वाले लघु व्यवसायियों ने भी यहां दुकानें खोलना शुरू कर दिया है. तिब्बती शरणार्थी एसोसिएशन की अध्यक्ष ल्हामो ने कहा आज उनका 40 साल पुराना सपना पूरा हो गया है. बीते 40 सालों से तिब्बती शरणार्थी ऊनी और गर्म कपड़ों के व्यापार के लिए जयपुर आ रहे हैं लेकिन यहां व्यापार के लिए उन्हें कोई स्थान विशेष आवंटित नहीं होने से खासी परेशानी का सामना करना पड़ता था. इन दुकानों के आवंटन से हमें जयपुर में स्थाई बाजार नहीं होने की बड़ी समस्या से मुक्ति मिली है.