प्रशासन की आई हकीकत सामने, स्मार्ट सिटी बनी गंदगी का ढेर
वर्तमान में जयपुर नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर में कुल मिलाकर 9 हजार से ज्यादा सफाई कर्मचारी हैं लेकिन, हालात ये है कि शहर में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हुए है.
Jaipur: जयपुर शहर में तीज त्यौहार का दौर शुरू होने वाला है. रविवार को ईद है और 14 से सावन का महीना शुरू हो रहा है लेकिन, जयपुर शहर सड़ रहा है. कारण शहर में ना तो सफाई है और ना ही जिम्मेदार अधिकारी अपने चैंबर से निकलकर बाहर की व्यवस्थाएं सुधारने में इंट्रस्ट ले रहे है. नगर निगम हेरिटेज कमीश्नर विश्राम मीणा को पद संभाले तीन दिन हो गए है लेकिन, एक दिन भी शहर की स्थिति देखने नहीं निकले. नगर निगम ग्रेटर में आयुक्त महेन्द्र सोनी को भी ढ़ाई महीनें से ज्यादा समय हो गया है पद संभाले हुए पर वो भी अब तक शहर की सफाई व्यवस्था को पटरी पर लाने में असफल रहे है.सड़कों पर जगह-जगह गंदगी, कचरों का ढेर, सीवेज का पानी, सड़कों के किनारे कीचड़ इकठ्ठा हो रखा है. ये किसी गांव की नहीं बल्कि उस शहर की तस्वीर है जो स्मार्ट सिटी की दौड में हैं. स्मार्ट सिटी जयपुर असल में स्मार्ट तब ही माना जाएगा जब, यहां हकीकत में स्वच्छता का माहौल बनेगा.
वर्तमान में जयपुर नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर में कुल मिलाकर 9 हजार से ज्यादा सफाई कर्मचारी हैं लेकिन, हालात ये है कि शहर में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हुए है. बारिश में कचरा गीला होने के बाद सड़ने लगता है और लोग परेशान होने लगते है. सीवर लाइनें उफन रही है लेकिन, उसे ठीक करवाने के लिए लोगों को कई दिनों से शिकायतें करने के बाद भी निराश होना पड़ रहा है. पूर्व नगर निगम आयुक्त जगरूप सिंह यादव की माने तो नगर निगम का मूल काम शहर की सफाई और लाइट व्यवस्था को अच्छा बनाए रखना है. नगर निगम के शीर्ष अधिकारी (कमीश्नर) की ये जिम्मेदारी है कि वह रोजाना ऑफिस जाने से पहले एक बार शहर के किसी ना किसी एरिया में रोजाना राउण्ड मारे. इससे ऊपर से लेकर नीचले स्तर पर कर्मचारियों का भी मनोबल बना रहता है और वे एक्टिव भी रहते है. इससे व्यवस्थाओं में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिलेगा.
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नगर निगम ग्रेटर में आयुक्त का पदभार ग्रहण करें महेन्द्र सोनी को 70 दिन से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन, अब तक वो 5 दिन ही शहर की सफाई व्यवस्था का दौरा करने गए है. जब ज्यादा किरकिरी होने लगी तो महेन्द्र सोनी ने दो दिन लगातार अलग-अलग जोन में दौरा किया. अफसरों से लेकर कार्मिकों को ताकित किया. नोटिस से लेकर सस्पेंड आदेश निकाले लेकिन, दो दिन बाद फिर वहीं ढाक के तीन पात वाली स्थिति हो गई. आयुक्त दो दिन दौरा कर अपने मातहतों के भरोसे छोड़कर बेफ्रिक हो गए. डोर टू डोर कचरे के लिए गाड़ियां 4-5 दिनों में भी नहीं आ रही है. सीवर लाइनें जाम होने पर लोग एक-एक महीने से शिकायत कर रहे है लेकिन, ना तो उन शिकायतों को सुनने का कोई मैकेनिज्म है और ना ही कोई निस्तारण करने के लिए रिस्पॉन्सेबल है.
लोगों का कहना है कि शहर में इतने बुरे हालात पहले कभी नहीं देखे है. लोग परेशान है कि आखिर अपने क्षेत्र की सफाई और सीवर जाम समेत अन्य समस्याओं को कहां दर्ज करवाए. वहीं जयपुर नगर निगम हेरिटेज में भी हालात कमोबेश ऐसे ही है. यहां नए आयुक्त को जुड़े 4 दिन हो गए है लेकिन, उन्होंने अब तक एक बार भी शहर में क्या स्थिति है इसे देखने की जहमत तक नहीं उठाई. उन्हें तो देखकर ऐसा लगता है कि, जो उनका नाम है वे उस पॉजिशन से बाहर ही नहीं आना चाहते है. ग्रेटर क्षेत्र के चारदीवारी, आदर्श नगर, दिल्ली बाइपास समेत कई जगह हालात खराब है. पार्षद धरना दे रहे है, लेकिन उन्हें शायद इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़ता है.
Reporter: Deepak Goyal
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