कांग्रेस की MLA ने गहलोत सरकार के जलदाय विभाग की उधेड़ी बखिया, कहा राजे अच्छी लीडर
ओसियां से कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने मंगलवार को विधानसभा में अपनी ही सरकार के मंत्री को जमकर घेरा
Jaipur: ओसियां से कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने मंगलवार को विधानसभा में अपनी ही सरकार के मंत्री को जमकर घेरा. पेयजल की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान जलदाय मंत्री डॉ.महेश जोशी पर निशाना साधते हुए कहा कि मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि जलदाय मंत्री केवल रबर स्टैंप हैं. प्रमुख शासन सचिव विभाग चला रहा है.
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दिव्या मदेरणा ने विधानसभा में कहा-मंत्रीजी को क्या कहें, शहर से आते हैं, गांव के व्यक्ति की समस्या महसूस करना तो दूर समस्या समझते भी हैं या नहीं इस पर भी सवाल है. मैं रेगिस्तान से आती हूं. आप रेगिस्तान की समस्या जानते भी हैं क्या ? जलदाय विभाग का प्रमुख सचिव पूरा विभाग चला रहा है.
दिव्या ने कहा कि वसुंधरा राजे को धन्यवाद देना चाहती हूं, अच्छी लीडर थीं. डिसीजन मेकिंग में भी अच्छी थीं. मोदी तुझसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं का नारा किसने दिया? दूसरा वसुंधरा तेरी खैर नहीं का नारा था. दूसरी तरफ, रूथलेस, एरोगेंस, भ्रष्ट ब्सूरोक्रेसी थी. जिसने भाजपा को विपक्ष में बैठा दिया.आप भी हमें विपक्ष में बैठाना चाहते हैं क्या? जबकि सीएम अशोक गहलोत की भी दिव्या ने तारीफ की.
दिव्या ने कहा कि जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी की तरफ से प्रदेश राम भरोसे है. मैं चेतावनी दे रही हूं. मैं जनता के लिए सदन में आई हूं. चुप नहीं बैठूंगी. मेरे क्षेत्र में 25 टंकियों की मंजूरी जाती है. उसे घटाकर 12 कर दिया जाता है. उसे भी पूरा होने से पहले रोक दिया. मैंने सीएम से बात करके उसे रुकवाया. सीएम गहलोत 25 साल सांसद रहे हैं. जोधपुर से तो वे ढाणी-ढाणी के बारे में जानते हैं. वहां की क्या समस्या है ? फिर भी यही बुलडोजिंग रवैया रखा तो मैं पानी के लिए चंदा करूंगी. सड़कों पर उतरूंगी.
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दिव्या ने कहा कि मेरे क्षेत्र में टंकियों की टेक्निकल सैंक्शन निकाली गई. रातों-रात फाइल ऐसे गोपनीय तरीके से जयपुर भेजी गई. जैसे कोई बॉर्डर सिक्योरिटी से जुड़ी रॉ की फाइल हो. चीफ इंजीनियर से लेकर तमाम अफसरों तक से बात की, लेकिन मुझे मेरे क्षेत्र की कौन सी पानी की टंकियां मंजूर हो रही हैं. उनके बारे में नहीं बताया गया. क्या मैं आईएसआईएस की मेंबर हूं ? आप मेरे क्षेत्र के लोगों की टंकियां कैसे बना रहे हो, ये मुझे नहीं बताओगे. पानी की जहां से पाइपलाइन जा रही है, उसे एग्रीकल्चर के लिए लोग काट देते हैं. उसकी कोई मॉनिटरिंग की कभी? कहने पर कहते हैं हम फील्ड की समस्या नहीं देखेंगे तो क्या भूमंडल की समस्याएं देखेंगे.