Jaipur: राजस्थान की सियासत में भले ही सचिन पायलट वर्तमान में राजनैतिक तौर पर केवल टोंक के ही विधायक हैं, लेकिन सियासी तौर पर उनकी सक्रियता और उनकी बयानबाजी आने वाले दिनों में उनकी नई भूमिका को लेकर कई संकेत दे रही है. राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि अगर राजस्थान के मुख्यमंत्री के तौर पर किसी तरह का बदलाव नहीं होता है, तो क्या सचिन पायलट PCC चीफ की कमान संभाल सकते हैं. 


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जिस तरीके से वो साथ चलने का बयान लगातार दे रहे हैं, राजस्थान के दौरे कर रहे हैं. अपने लोगों के बीच जल्द लौटने का भरोसा जता रहे हैं, उससे ये कयास लगाए जा रहा हैं कि पार्टी राजस्थान में उनके भविष्य को लेकर जल्द ही फैसला करने वाली है.


इसकी एक बानगी आज उस समय दिखाई दी जब अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक में मंगलवार को किसानों के बीच पहुंचकर सचिन पायलट ने अतिवृष्टि के मुद्दे के जरिए अप्रत्यक्ष तौर पर ही सही, लेकिन गहलोत सरकार के मंत्रियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए.


 सचिन पायलट ने न केवल खेतों में जाकर किसानों से संवाद किया उनकी नष्ट हो चुकी फसल को देखा, बल्कि उन्हें भरोसा भी दिलाया कि उनके साथ नाइंसाफी नहीं होगी. सचिन पायलट इस दौरान केवल टोंक की ही नहीं बल्कि हाड़ौती सहित राजस्थान के कई जिलों में अतिवृष्टि से हुए किसानों के नुकसान की बात करते हुए दिखाई दिए. सचिन पायलट ने कहा कि वे किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे. कांग्रेस सरकार और संगठन किसानों के साथ है. पायलट ने इस दौरान किसानों की दूसरी समस्याएं भी सुनीं और सक्षम स्तर पर उनका समाधान करवाने की बात कही.


इससे पहले कल हाड़ौती के दौरे में झालावाड़ में यादव अहीर समाज के कार्यक्रम में भी सचिन पायलट ने लोगों को भरोसा दिया कि उनके बीच उनकी सक्रियता अब बढ़ने वाली है. वे जल्द 1 बार फिर से हाड़ौती का दौरा करेंगे.


सचिन पायलट ने लोगों के स्नेह और आशीर्वाद पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे जल्द ही फिर से उनके बीच लौटेंगे. कुल मिलाकर राजस्थान में सचिन पायलट की सक्रियता कई सियासी संकेत दे रही है, सवाल सियासी हलकों में चल पड़ा है कि आने वाले दिनों में सचिन पायलट को सत्ता में नहीं तो संगठन के स्तर में कोई बड़ी ज़िम्मेदारी मिल सकती है.


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