Rajasthan News: राजस्थान से पहले मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस इसी प्रकार मुख्य सचिव को पद से हटाने की मांग कर चुकी है. अब चुनाव आयोग का क्या फैसला रहने वाला है, यह तो आयोग पर निर्भर है, लेकिन मुख्य सचिव को हटाया जाता है तो इस तरह का यह पहला मामला होगा.


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राजस्थान में सत्ता के महासंग्राम में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही एक दूसरे पर हमलावर हैं,विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी कांग्रेस को घेरकर चौतरफा हमले कर रही है. बीजेपी महिला सुरक्षा,कानून व्यवस्था ,किसान कर्ज माफी और बेरोजगारी के साथ-साथ सरकार से लाभ ले रहे अधिकारियों के मुद्दे पर कांग्रेस पर आरोप लगाती रही है.अब बीजेपी ने राज्य की मुख्य सचिव उषा शर्मा को हटाने की मांग उठाई है. बीजेपी ने आदर्श आचार संहिता के नियमों का हवाला देते हुए मुख्य सचिव उषा शर्मा को पद से हटाने की मांग की है.


मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन 


नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के नेतृत्व में बीजेपी का प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता के पास पहुंचकर सीएस को हटाने के लिए ज्ञापन दिया। उन्होंने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग नियमों का हवाला देते हुए कहा कि आचार संहिता लगने के बाद कोई भी एक्सटेंशन वाला अधिकारी अपने पद पर नहीं रह सकता.उन्होंने ज्ञापन देकर मांग की कि आयोग सुनिश्चित करें कि ऐसे में 31 दिसंबर तक एक्सटेंशन पाने वाली सीएस को तुरंत उनके पद से हटाया जाए.


बीजेपी ने ज्ञापन में कहा कि 2 जून 2013 के आयोग के निर्देशानुसार वे अधिकारी, जिनका सेवा काल बढ़ाया गया है,वे चुनाव सम्बंधित किसी भी कार्य से जुड़े हुए नहीं रह सकते हैं. वर्तमान में उषा शर्मा आईएएस राजस्थान सरकार में मुख्य सचिव पद पर नियुक्त हैं और भारतीय सिविल सेवा में कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद राज्य सरकार ने 16 जून 2023 को केन्द्र सरकार को सिफारिश भेजी.


 इसे केंद्र सरकार की और से 28 जून 2023 स्वीकार किया जा कर उनका सेवाकाल 1 जुलाई 2023 से 31 दिसंबर 2023 तक के लिए बढ़ा दिया गया है.राठौड़ ने कहा कि राज्य शासन के सामान्य अनुक्रम में और चुनाव के समय आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों को लागू करते समय मुख्य सचिव की अहम भूमिका रहती है. चुनावी गतिविधियों सहित अन्य कार्य के लिए जो स्क्रीनिंग कमेटी गठित की गई है,उसका नियंत्रण बतौर चेयरमैन मुख्य सचिव के नियंत्रण में होता है.


इसके साथ प्रस्ताव भेजने वाले विभाग के सचिव ,जीएडी के सचिव इस कमेटी के अन्य सदस्य बनाए गए हैं.उनका काम आदर्श आचार संहिता में कई प्रस्तावों पर अनुमति के लिए अनुशासन करनी होती है,ऐसे में निष्पक्षता की उम्मीद नहीं की जा सकती.राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि मुख्य सचिव को लेकर चुनाव आयोग में आपत्ति दर्ज कराई है.चुनाव आयोग के निर्देशों में साफ लिखा है कि जो अतिरिक्त प्रभार पर है, या एक्सटेंशन पर है वह चुनाव से संबंधित कार्य में भाग नहीं ले सकते हैं.


 मुख्य सचिव उषा शर्मा को सरकार की सिफारिश पर 16 जून को एक्सटेंशन दिया गया है. चुनाव आयोग के निर्देश पर मुख्य सचिव उषा शर्मा को एक दिन भी पद पर रहने का अधिकार नहीं है.चुनाव की घोषणा के साथ ही राजस्थान के मुख्य सचिव को अपना पद छोड़ देना चाहिए था.राठौड़ ने कहा कि मुख्य सचिव लगातार सरकारी कार्यक्रमों बैठकों में भाग ले रही है चुनाव आयोग का सीधा सीधा उल्लंघन है.पहले भी प्रियंका गांधी वाड्रा के एक को लेकर भी ज्ञापन दिया था.


 कोई भी आधार पर देवी देवताओं की पूजा पर टिप्पणी नहीं करेंगे आचार संहिता का उल्लंघन है. हम मांग करते हैं कि तुरंत ही मुख्य सचिव पद से उन्हें मुक्त करें.चुनावी आचार संहिता के बाद जो मुख्य सचिव ने निर्णय लिए हैं वो शून्य हैं. वह सारे शून्य करार होने चाहिए.यह बात हमने मुख्य चुनाव आयुक्त को कही है.


गारंटी पर भी बोले राठौड़ 


मुख्यमंत्री की गारंटी पर राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि आज सरकार का वैधानिक कार्यकाल खत्म हो गया. पहले जो गारंटी दिए उसका जवाब दे दें. स्मार्टफोन बात कर चुप हो गए क्योंकि पहला बजट के प्रावधान नहीं किया.जो फोन बाजार में 5000 और 5100 तक मिलता है उसे 6125 में दिया.गारंटी कार्ड ही भ्रष्टाचार की नींव पर रखा हुआ है.


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