Sanchor news :नर्मदा नदी राजस्थान से होकर नहीं बहती है और राजस्थान का कोई भी क्षेत्र नर्मदा बेसिन में नहीं आता है, फिर भी किसानों को बसने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, पड़ोसी राज्य गुजरात से होकर बहने वाली नर्मदा नदी के पानी से इसकी भूमि को सिंचित करने पर विचार किया गया लेकिन नर्मदा नहर परियोजना में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है 23 दिन के क्लोजर के बावजूद मुख्य कैनाल की पूरी तरह से सफाई किए बगैर नहर में पानी प्रवाहित कर दिया गया और बड़ी मात्रा में नर्मदा मुख्य कनाल में मिट्टी जमा पड़ी है.


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23 करोड़ का घोटाला 
केनाल की सफाई के लिए करीब 4 करोड़ का टेंडर जारी किया गया था लेकिन आखिरकार नर्मदा विभाग के अधिकारियों ने मिट्टी निकले बगैर उस पर पानी फेर दिया है.बता दे कि नर्मदा विभाग की ओर से 1 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक मुख्य कैनाल की मरम्मत एवं साफ सफाई के लिए क्लोजर ले रखा था,लेकिन काम पूरा नहीं होने के कारण 16 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक क्लोजर बढ़ाया गया उसके बावजूद भी काम पूरा नहीं हुआ तो 3 दिन और क्लोजर बढ़कर 23 तारीख तक किया गया.


299 गांव में नर्मदा परियोजना पर निर्भर
जब 23 तारीख तक भी मिट्टी निकालने का काम पूरा नहीं हुआ तो आनन फानन में नहर की गंदगी मिट्टी सफाई किए बगैर पानी छोड़ दिया गया. क्लोजर के कारण एफआर प्रोजेक्ट के तहत जालौर शहर समेत करीब 299 गांव में नर्मदा परियोजना से पेयजल के लिए आपूर्ति होती है इसी के साथ सांचौर शहर के 160 गांव के लिए डीआर प्रोजेक्ट से पेयजल के लिए आपूर्ति होती है और भीनमाल शहर में करीब 306 गांव में ईआर प्रोजेक्ट के तहत पानी की आपूर्ति होती है लेकिन कैनाल की पूरी तरह से साफ सफाई नहीं होने के कारण नर्मदा नहर परियोजना के अधिकारियों की लापरवाही के कारण अब लोग गंदा मटमेला पानी पीने को मजबूर होंगे.


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