Jalore News: राजस्थान के जालोर जिले के आहोर उपखंड के ओडवाड़ा गांव में 35 एकड़ ओरण भूमि पर बने 150 से अधिक मकान व कच्चे अतिक्रमण को हटाने के मामले में पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत का बयान सामने आया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

वैभव गहलोत ने मामले को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया. वैभव गहलोत ने मामले को लेकर अपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर लिखा, ''जालोर जिला कलेक्टर से वस्तुस्थिति की जानकारी लेने के बाद ओडवाड़ा में हाईकोर्ट के आदेश पर हो रही कार्रवाई के संबंध में मैंने वकील से विधिक राय ली है. उन्होंने बताया कि इस मामले में हाईकोर्ट में 20 मई को अगली सुनवाई होनी है जिससे पहले प्रशासन को कार्रवाई कर अतिक्रमण हटाने की जानकारी हाईकोर्ट को देनी होगी. इसके संबंध में मैंने सुप्रीम कोर्ट के वकील से चर्चा की है एवं पीड़ित परिवारों की ओर से आज ही सुप्रीम कोर्ट में इस कार्रवाई के विरुद्ध सुनवाई के लिए प्रार्थना पत्र देना तय किया है.हमें आशा है कि सुप्रीम कोर्ट से पीड़ित परिवारों के घर तोड़ने पर जल्द से जल्द स्टे मिलेगा और इन्हें राहत मिल सकेगी. मैं इस संबंध में पीड़ित परिवारों के साथ हूं एवं मेरा पूरा प्रयास है कि उनके साथ न्याय सुनिश्चित हो.''



क्या है पूरा मामला 


दरअसल, इस पूरे मामले की शुरुआत 3 साल पहले हुई थी. ओडवाड़ा गांव के दो भाई मुकेश पुत्र मुल्लसिंह राजपुरोहित और महेंद्रसिंह पुत्र बाबूसिंह राजपुरोहित में जमीन के बंटवारे को लेकर विवाद हो गया था. विवाद होने के बाद दोनों भाई जमीनी मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गए. दोनों भाईयों के जमीन का नाप हुआ. जिसमें हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूरे ओडवाड़ा गांव की जमीन को ही ओरण भूमि बताया. 


ओडवाड़ा गांव की करीब 440 घर ओरण भूमि पर बने हुए हैं. हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार ओडवाड़ा गांव के 440 घर ओरण भूमि में बने हैं. इसको लेकर पूर्व में कोर्ट के आदेश पर प्रशासन की ओर से पहले भी इन सभी घरों पर क्रॉस का निशान लगाकर चिन्हित किया गया था. मालिकों को घर खाली करने के नोटिस भी जारी किए गए थे. लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद फिर से 2 मई को तहसीलदार ने सभी को नोटिस जारी किए.


मामले को लेकर क्या है ताजा अपेडट


राजस्थान हाई कोर्ट ने जालोर के ओडवाड़ा गांव में अतिक्रमण हटाने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा- दस्तावेजों का करें वेरीफिकेशन, संपूर्ण जांच प्रक्रिया के बाद कार्रवाई करें तब तक किसी प्रकार का  अतिक्रमण नहीं हटाया जाएगा. जस्टिस विनीत माथुर की कोर्ट ने ग्रामीणों को राहत दी है. अधिवक्ता श्याम पालीवाल ने बाबू सिंह व अन्य की ओर से कोर्ट में पक्ष रखा.