Jhalawar News: राजस्थान की झालावाड़ हिंदू नववर्ष महोत्सव समिति के तत्वावधान में आयोजित शोभायात्रा का देर शाम झालावाड़ के गढ़ गणपति मंदिर परिसर में 5100 दीपक से महाआरती के साथ समापन हुआ. इस दौरान शोभायात्रा के पहुंचने पर गढ़ गणेश मंदिर परिसर के प्रांगण में जोरदार आतिशबाजी भी देखने को मिली. 


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इसके साथ ही मंच पर साधु संतों का समागम भी रहा. पहले मंदिर परिसर में गढ़ गणपति की सामूहिक आरती, ढोल, ताशे, मंजीरे बजाकर बड़ी धूमधाम से की गई, जिसमें भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा. झालावाड़ राजपरिवार सदस्य महाराजा चंद्रजीत सिंह व संतजनो सहित मौजूद महिलाओं ने अपने हाथों में दीपक की थाली लिए गणपति की आरती उतारी, तो वही बाद में मंच पर विराजित पीपाधाम के संत झंकारेश्वर और द्वारकेश महाराज का हिंदू नववर्ष महोत्सव समिति ने स्वागत किया. 


बाद में संतों के द्वारा भारत माता की तस्वीर पर दीप प्रज्वलित कर अपने मुखारविंद से आशीर्वचन संबोधन भी किया गया. पीपाधाम के संत झंकारेश्वर महाराज ने मंच से कहा कि हम सब चौकी पर बैठे हैं, जबकि आप लोग जमीन पर बैठे हैं. जमीन पर बैठने वाला जमीदार होता है और चौकी पर बैठने वाला चौकीदार इसलिए हम सब आपके चौकीदार हैं, तो वही गुजरात से आमंत्रित प्रसिद्ध पुष्टीयमार्गीय प्रचारक द्वारकेश लालजी महाराज ने सनातन धर्म की उत्पत्ति के बारे में जानकारी दी. 


उन्होंने कहा कि अन्य धर्मों के ज्ञाताओं को उनके धर्म की जानकारी है, किंतु सनातन धर्म की उत्पत्ति सृष्टि के साथ ही हुई है. जिस दिन सूर्य ने उदय होना और अस्त होना शुरू किया चंद्रमा ने अपना प्रकाश देना शुरू किया, उसी दिन से सनातन धर्म का प्रारंभ हुआ है. हिंदू धर्म चाहे विभिन्न संप्रदाय में बटा हो, लेकिन उसकी जड़ों में चतुर्वेद बसे है.


बाद में आयोजन समिति तथा संतो के द्वारा भारत माता की आरती की गई. इस कार्यक्रम के दौरान झालावाड़ दरबार चंद्रजीत सिंह के साथ आयोजन समिति में वीरेंद्र सिंह झाला, शैलेंद्र यादव, अनिल जैन, संजय जैन, पुखराज जैन, इंद्रजीत सिंह झाला, संजय शुक्ला भी मौजूद रहे. 


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