Dussehra 2024: राजस्थान का वो गांव जहां रावण दहन से पहले गोलियों से किया जाता है छलनी, दशानन की सेना पर भी चलाई जाती है ताबड़तोड़ गोलियां
Dussehra 2024: देश भर में शनिवार को रावण दहन का आयोजन होता है, जहां रावण के पुतले जलाए जाते हैं. भारत की विविधता के कारण हर जगह की अपनी अलग परंपरा है. राजस्थान के झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी कस्बे में एक अनोखी परंपरा है, जहां रावण के पुतले के साथ-साथ उसकी सेना पर बंदूकों से फायरिंग की जाती है.
Dussehra 2024: देश भर में शनिवार को रावण दहन का आयोजन होता है, जहां रावण के पुतले जलाए जाते हैं. भारत की विविधता के कारण हर जगह की अपनी अलग परंपरा है. राजस्थान के झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी कस्बे में एक अनोखी परंपरा है, जहां रावण के पुतले के साथ-साथ उसकी सेना पर बंदूकों से फायरिंग की जाती है. यह दादू पंथी समाज की 400 साल पुरानी परंपरा है, लेकिन इस बार पुलिस ने नए कानून प्रावधान के तहत अनुमति नहीं दी है, इसलिए इस बार तीर-कमान से रावण के पुतले का दहन होगा.
राजस्थान का झुंझुनू जिला
राजस्थान के झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी कस्बे में बसे दादूपंथी समाज के लोग एक अनोखी परंपरा निभाते हैं. यह परंपरा दशहरा उत्सव के दौरान रावण दहन की है, जिसमें बंदूकों से फायरिंग की जाती है. यह आयोजन जमात क्षेत्र में होता है और दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं. नवरात्र की शुरुआत के साथ ही दादूपंथियों का दशहरा उत्सव शुरू हो जाता है, जिसकी शुरुआत जमात स्कूल के बालाजी महाराज मंदिर में ध्वज फहराकर की जाती है. नवरात्र के पहले दिन चांदमारी क्षेत्र में परंपरागत तरीके से बंदूकों से रिहर्सल की जाती है, जो उत्सव की भव्यता को दर्शाती है.
दशहरा उत्सव के दौरान दादूपंथी समाज में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन
दशहरा उत्सव के दौरान दादूपंथी समाज में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. शस्त्र पूजन और कथा-प्रवचन के बाद, विजय पताका फहराने के लिए रणभेरी, नोबत, ढोल, ताशा और झाल की ध्वनियाँ गूंथती हैं. हर रोज दुर्गा सप्तशती और दादूवाणी के पाठ, चांदमारी की रस्म, श्री दादू मंदिर और बालाजी मंदिर में विशेष आरती का आयोजन होता है. इसके अलावा, रसोईपूजा, चादर दस्तूर, सवामणी-प्रसाद और अधिवेशन जैसे कार्यक्रम भी होते हैं, जो समाज की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को दर्शाते हैं. ये कार्यक्रम दशहरा उत्सव को एक विशेष और आनंदमयी अनुभव बनाते हैं.
दादूपंथी समाज के दशहरा महोत्सव में रावण की सेना का दर्शन करने के लिए भारी भीड़ जमा होती है. इस अनोखे आयोजन में रावण दहन के दौरान मिट्टी के मटकों का उपयोग किया जाता है, जिन्हें सफेद रंग से रंगा जाता है. ये मटके एक-दूसरे के ऊपर इस तरह से रखे जाते हैं कि रावण के दोनों तरफ उसकी सेना दिखाई देती है. आयोजन के दौरान सबसे पहले रावण की सेना पर गोलियां दागी जाती हैं, इसके बाद रावण को गोली मारी जाती है, जिससे वह जल उठता है. यह अनोखी परंपरा समाज की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है और लोगों को आकर्षित करती है.
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