Jhunjhunu News: बेटे का शव लेने कोर्ट पहुंचा पिता, आमने-सामने आए पति-पत्नी, जानें पूरा मामला
झुंझुनूं के सूरजगढ़ कस्बे में एक 12 साल के बेटे के शव को लेने के लिए पति—पत्नी आमने सामने हो गए. मामले में बेटे का शव लेने के लिए पिता एडीजे कोर्ट चिड़ावा पहुंचा.
Jhunjhunu News: झुंझुनूं के सूरजगढ़ कस्बे में एक 12 साल के बेटे के शव को लेने के लिए पति—पत्नी आमने सामने हो गए. मामले में बेटे का शव लेने के लिए पिता एडीजे कोर्ट चिड़ावा पहुंचा. कोर्ट ने भी मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को समझते हुए महज डेढ़ घंटे में दोनों पक्षों को सुनकर पिता को दाह संस्कार के लिए बेटे का शव सुपुर्द करने के आदेश दिए. पढ़िए खबर विस्तार से.
दरअसल गाडराटा खेतड़ी हाल सूरजगढ़ निवासी रेखा शर्मा की शादी चूरू जिले के राजगढ़ तहसील के किरतान गांव निवासी अशोक शर्मा के साथ हुई थी. शादी के बाद उनके दो बेटे हुए, लेकिन करीब 8 साल पहले दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया. दोनों अलग—अलग रहने लगे. इसी दौरान 2017 में जब रेखा शर्मा अपने पीहर गाडराटा खेतड़ी रह रही थी, तो अशोक शर्मा अपने दोनों बेटों को जबरदस्ती लेने पहुंच गया.
इस घटना के बाद विवाद और बढ गया. अशोक शर्मा ने 2017 में ही दोनों बेटों को अपने पास रखने के लिए कोर्ट पहुंचा, जिसमें अभी मामला विचाराधीन है. इसके बाद रेखा अपने मामा के घर सूरजगढ़ आकर रहने लगी. अब इस मामले में नया मोड़ तब आया. जब 10 दिन पहले रेखा और अशोक शर्मा का छोटा बेटा 12 साल का हर्षित अचानक बीमार हो गया. बीमार होने के बाद पहले उसका सूरजगढ़ ईलाज करवाया गया. इसके बाद जयपुर रैफर किया गया. जेके लोन जयपुर में करीब पांच दिन ईलाज चलने के बाद हर्षित की मौत हो गई.
अब मौत के बाद भी पिता अशोक शर्मा अपने बेटे के शव को लेने के लिए कोर्ट पहुंचा. चिड़ावा एडीजे कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता लोकेश शर्मा के द्वारा लगाई गई एप्लीकेशन पर एडीजे ने महज डेढ़ घंटे में फैसला देते हुए पुलिस को आदेश दिए कि बच्चा के शव पिता को दिया जाए, जिसके बाद पुलिस ने मेडिकल बोर्ड से शव का पोस्टमार्टम करवाकर शव पिता को सुपुर्द किया. अशोक शर्मा की ओर से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट लोकेश शर्मा ने बताया कि हिंदू संस्कारों व रीति रिवाज के अनुसार अंतिम क्रिया पुरूषों द्वारा की जाती है.
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शव की सुपुर्दगी लेने के लिए एडीजे कोर्ट चिड़ावा में एप्लीकेशन लगाई थी. कोर्ट ने मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को समझते हुए विपक्षी अधिवक्ता को सूचना दी और दोनों पक्षों की सुनने के बाद पिता को शव को सुपुर्द करने का फैसला दिया है. महज डेढ़ घंटे में कोर्ट ने यह फैसला दिया है.
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