Jhunjhunu news: झुंझुनूं के पिलानी स्थित सीएसआईआर सीरी में तत्कालीन कार्यरत तकनीकी अधिकारी को अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में एडीजे कोर्ट चिड़ावा ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. एडीजे कोर्ट के अपर लोक अभियोजक एडवोकेट वीरप्रकाश झाझड़िया ने बताया कि जुलाई 2016 में हैदराबाद निवासी वी. गुरूनारायण ने पिलानी थाने में मामला दर्ज कराया था कि उसकी बेटी पावन सत्यश्री की शादी सिंतबर 2009 में आंध्रप्रदेश के काकीनाड़ा निवासी जोनालगढ़ा वेंकट नागराज शर्मा पुत्र जयकृष्णन शर्मा के साथ हुई थी. जो सीरी पिलानी में तकनीकी अधिकारी के पद पर कार्यरत है. 


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जोनालगढा वेंकट नागराज शर्मा ने फोन पर सूचना दी कि पावन सत्यश्री ने आत्महत्या कर ली है. जिस पर वे और उसकी बेटी समेत अन्य परिजन पहुंचे. उन्होंने आकर देखा तो पावन सत्यश्री के सिर पर चोट के निशान थे. जिस पर उन्होंने दहेज व घरेलु झगड़े के कारण पावन सत्यश्री की हत्या करने का मामला दर्ज करवाया. मामले की पुलिस ने जांच करने के बाद हत्या की धाराओं में चालान पेश किया. इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विद्वान न्यायाधीश एडीजे चिड़ावा योगेश जोशी ने आरोपी जोनालगढा वेंकट नागराज शर्मा को हत्या का दोषी पाया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाने के साथ-साथ 50 हजार रूपए के अर्थ दंड से दंडित किया.


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आपको बता दें कि इस मामले को आत्महत्या का दर्शाने के लिए आरोपी जोनालगढा वेंकट नागराज शर्मा ने पहले तो अपनी पत्नी की हत्या की फिर उसकी ही साड़ी से उसके शव को पंखे से लटका दिया और आत्महत्या की सूचना ना केवल परिजनों को, बल्कि पुलिस को दी. लेकिन पुलिस पूछताछ में आरोपी ने अपना अपराध कबूल लिया. जिस वक्त वारदात को अंजाम दिया गया था उस वक्त घर में केवल जोनालगढा वेंकट नागराज शर्मा व उसकी पत्नी पावन सत्यश्री तथा उनका छोटा बच्चा ही था.


आरोपी ने खुद ही की मामले की पैरवी
इस मामले में आरोपी जोनालगढा वेंकट नागराज शर्मा ने किसी वकील को अपने लिए कोर्ट में खड़ा नहीं किया. बल्कि खुद ही पैरवी की. केस के शुरूआती दिनों में दो वकील किए थे. लेकिन बाद में उनसे केस को सरकारी मदद से एक वकील को दिया. इसके भी कुछ समय बाद बीते कुछ सालों से जोनालगढा वेंकट नागराज शर्मा खुद ही अपने केस की पैरवी कर रहा था. उसने अपने अपराध संबंधी कानूनी धाराओं को भी पढा और समझा. लेकिन फिर भी खुद को आजीवन सजा से बचा नहीं पाया.


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