Khetri: झुंझुनूं के खेतड़ी रजवाड़े के समय में अरावली की पहाड़ियों में बने जंगलों में बाघ रहा करते थे और अक्सर खेतड़ी नरेश राजा अजीत सिंह अपने परम मित्र और गुरु स्वामी विवेकानंद के साथ बाघों को देखने जाया करते थे. साथ ही खेतड़ी में बाघों के घर की बात की जाए तो स्वामी विवेकानंद ने एक बार अपने किसी मित्र से बाघ लाकर उपहार स्वरूप भेंट किया था. 


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विश्व बाघ दिवस पर आज हम बात कर रहे हैं झुंझुनूं के खेतड़ी वन्य अभ्यारण की, जो वर्षों पहले बाघों के रहने का एक उपयुक्त स्थान हुआ करता था लेकिन आज के आधुनिक युग में कहीं ना कहीं इस विलुप्त होती प्रजाति को संरक्षित करने के लिए उन्हें उनके पुराने खेतड़ी की अरावली की पहाड़ियों के जंगल जो अब बड़ा वन्य अभ्यारण है में लाकर उनका पुनर्वास किया जाए तो अभ्यारण में एक बार फिर उनका घर बन सकता है. एसीएफ गुलजारीलाल ने बताया कि यह बात सच है कि वर्षों पहले खेतड़ी के जंगलों में बाघ रहा करते थे लेकिन अभी सिर्फ यहां पर एक दर्जन के करीब पैंथर है, यदि उनके रहने के लिए उपयुक्त संसाधन जुटाए जाएं तो एक बार यहां पर बाघ संरक्षित रह सकते हैं.


पहले जैविक दबाव कम था
रजवाड़ा के समय में खेतड़ी के पहाड़ियों के आसपास जैविक दबाव कम था, जनसंख्या भी कम थी और जानवरों की संख्या भी कम थी लेकिन अब जनसंख्या बढ़ने के कारण लोग तेजी से आवास बनाकर रहने लगे हैं, जिसके कारण वन्यजीवों के रहन-सहन में बड़ी बाधा का सामना करना पड़ रहा है.


पहाड़ियों में जूली फ्लोरा बन गई है सबसे बड़ी बाधा
खेतड़ी वन्य अभ्यारण की पहाड़ियों में जूली फ्लोरा अत्यधिक मात्रा में है जो एक कटीली झाड़ियां होती है. इसके कारण वन्य जीव एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं आ जा सकते हैं. उनको कांटे चुभने के कारण वह सीमित स्थान पर ही रहते हैं. इसके कारण घास फूस भी नहीं उग पाता है और खरगोश, चिंकारा, चीतन, सांभर जैसी शाकाहारी जीव जंतु नहीं रह पाते हैं जो बाघ का पसंदीदा भोजन होता है.


पानी के बड़े स्रोत बनाकर आवागमन के लिए दिया जा सकता है न्यौता
खेतड़ी के वन्य अभ्यारण में पैंथर और वन्य जीवों के लिए पानी के स्रोत बना रखे हैं लेकिन यदि बाघों की बात की जाए तो उनके रहन-सहन के लिए बड़े स्रोतों की आवश्यकता है, जिसके आसपास वह रह सकते हैं और अपनी टेरिटरी बना सकते हैं. यदि सरकार इस ओर ध्यान दें तो यह एक उपयुक्त बाघों का घर फिर से बन सकता है.


नौंवीं कक्षा के बच्चे ने दिया संदेश, सेव टाइगर्स
खेतड़ी में कक्षा नौ के छात्र तन्मय खांखरा ने वर्ल्ड टाइगर डे पर पेंटिंग बनाई है. छात्र का कहना है कि अक्सर हम टाइगर, वाइल्ड एनिमल टीवी और किताबों में ही देखते हैं. यह हमारे लिए बड़ी सौभाग्य की बात है कि पैंथर हमारे अभ्यारण में है और अब जल्द ही टाइगर को लेकर भी एरिया डिवेलप किया जाएगा, हमें पर्यावरण और वाइल्ड एनिमल के प्रति जागरूक रहने की जरूरत है. साथ ही पर्यावरण का भी ध्यान रखना चाहिए.


Reporter: Sandeep Kedia


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