Sardarpura: यात्री द्वारा रिजर्वेशन फार्म में सही एंट्री किए जाने के बावजूद रेलवे कर्मचारियों ने गलती से टिकट में उसे ना केवल फिमेल अंकित कर दिया, बल्कि रेलवे के जांच-दस्ते द्वारा उसे बेटिकट मानकर पेनल्टी भी वसूल कर ली गई. इस अन्याय के खिलाफ यात्री द्वारा सन 2009 में प्रस्तुत किए गए परिवाद में अब तेरह वर्ष बाद उपभोक्ता संरक्षण आयोग द्वितीय ने उपभोक्ता के पक्ष में फैसला देते हुए रेलवे पर 50 हजार रुपये हर्जाना लगाया है.


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मामले के अनुसार भोपालगढ़ निवासी महेश द्वारा 29 सितंबर, 2009 को अहमदाबाद से जोधपुर यात्रा के लिए स्वयं, माता और बहन के आरक्षण टिकट के लिए फार्म भरकर दिया लेकिन बुकिंग कर्मचारी द्वारा टिकट में माता और बहन के साथ उसे भी फिमेल अंकित कर दिया. इस त्रुटि के बाबत बताने के बावजूद भी सुधार नहीं किया गया. नियत दिवस को यात्रा की समाप्ति पर जब वह ट्रेन से उतरा तो जोधपुर रेलवे स्टेशन पर उड़नदस्ता ने उसकी टिकट को नहीं माना और उसे बेटिकट यात्री बतलाकर पुलिस कार्रवाई की धमकी देते हुए जबरन 330 रुपये जुर्माना वसूल कर लिया. 


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डी आर एम. रेलवे जोधपुर की ओर से जवाब पेश कर अनेक कानूनी आपत्तियां की गई और इसके लिए खुद परिवादी को जिम्मेदार ठहराया गया. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आयोग के अध्यक्ष डॉ श्याम सुन्दर लाटा, सदस्य डॉ अनुराधा व्यास, आनंद सिंह सोलंकी ने अपने निर्णय में कहा कि टिकट चैकिंग दल द्वारा परिवादी का पक्ष सुनने और टिकट बाबत जांच पड़ताल किए बिना ही उससे नाजायज रूप से जुर्माना वसूल किया गया है. 


परिवादी रेलवे का सम्मानित यात्री होने के बावजूद कर्मचारियों की बार-बार गलती से उसे रेलवे स्टेशन पर परिवारजनों और अन्य यात्रियों के समक्ष अपमानजनक स्थिति से गुजरना पड़ा है. आयोग ने इसे रेलवे की सेवा में भारी कमी और अनुचित व्यापार-व्यवहार मानते हुए जुर्माना राशि 330 रुपये वापस लौटाने और परिवादी को शारीरिक और मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के निमित्त पचास हजार रुपये हर्जाना की राशि रेलवे द्वारा भुगतान किए जाने का आदेश दिया है.


Reporter: Arun Harsh


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