Heeraben Modi Life: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शक्ति कही जाने वाली मां हीराबा का जन्म 18 जून 1923 को मेहसाणा में हुआ था. हीराबेन की शादी दामोदर दास मूलचंद मोदी से हुई थी जो चाय बेचा करते थे. हीराबेन और दामोदरदास की 6 संताने थी. जिसमें से नरेंद्र मोदी तीसरे नंबर पर थे. 


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परिवार में नरेंद्र मोदी के अलावा अमृत मोदी, पंकज मोदी, प्रह्लाद मोदी, सोमा मोदी, बेटी वसंती बेन और हंसमुखलाल मोदी भी हैं. प्रधानमंत्री ने कई बार ये बताया है कि उनकी मां का जीवन बहुत संघर्षों से भरा रहा. पिता के निधन के बाद गुजारा करने के लिए मां ने दूसरों के घरों में बर्तन तक साफ किए और पानी भरा.


अपनी मां हीराबा की तकलीफों को याद करते हुए कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भावुक भी हुए और उनकी आखें नम हो गयी. जब हीराबेन का 100वां जन्मदिन पीएम मोदी ने मनाया था तो परिवार ने एक कहानी सांझा की और बताया कि मां जब 6 महीने की थीं, तब उनकी नानी का निधन हो गया था. पीएम मोदी के भाई प्रह्लाद मोदी ने कहा कि मेरी नानी के गुजर जाने के बाद नाना ने दूसरी शादी कर ली. फिर उनसे जो बच्चे हुए उनके पालन पोषण की जिम्मेदारी भी मां हीरा बा पर ही आ गयी थी. वे कहते हैं कि उनकी मां छोटी उम्र में ही मां बन गयी थी.


लेकिन संघर्ष आगे भी बाकी था, नानाजी की दूसरी पत्नी का भी निधन हो गया और अब तीसरी शादी से हुए बच्चे भी हीराबेन को ही पालने थे. एक मां की जिम्मेदारी हीराबा ने बखूबी निभाई और बिना किस भेदभाव के बच्चों का पालन पोषण किया.  लेकिन मजाल हो कि कभी भी भाग्य को मां हीराबा ने दोष दिया हो.


उस जमाने में जिस मकान में हीराबा रहती थी उसकी दीवार गिरी हुई थी. वो सो रही थीं, उनके बगल में ही उनकी छोटी बहन थी और तभी चोर आ गए. उनके हाथ में हथियार भी थे. लेकिन तब मां खड़ी हो गईं और चोरों का मुकाबला ऐसे किया कि चोरों को भागना पड़ा.


"आज तक" से बातचीत के दौरान प्रह्राद मोदी ने ये भी बताया कि उनकी मां के इतना मजबूत होने के पीछे की वजह ये थी कि वो वडनगर की थी और ये वडनगर की तासीर है. वडनगर में एक ही कुआं था, जिससे सभी लोग पानी लाकर खाना बनाया करते थे. जिस खेत में वो कुआं था उसका मालिक मोगाजी ठाकुर था. वो पानी के लिए किसी को मना नहीं करता था. वहां से हर महिला दो घड़ा पानी सिर पर उठाकर लाती और घर का गुजारा करती. हमारा घर वहां से 15 फीट की ऊंचाई पर था. मां रोज दो बार पानी लाती चढ़ाई चढ़कर अपने घर पहुंचती थीं. कुएं से पानी निकालने के लिए 100 हाथ रस्सी खींचनी पड़ती थी. इसलिए उनके हाथ-पांव मजबूत थे.


पीएम मोदी के भाई ने आगे बताया कि मां कपड़े धोने के लिए तालाब जाती थीं, फिर घर के काम करती थीं और फिर दूसरे घरों में काम करती थीं. उन्होंने पूरा जीवन मेहनत करके बिताया. आलस्य शब्द उनके जीवन में था ही नहीं.


प्रह्लाद मोदी ने बताया कि उनकी मां पढ़ी लिखी नहीं थीं, उन्होंने स्कूल देखा ही नहीं था. लेकिन बच्चों को वो हमेशा पढ़ने के लिए प्रेरित करती रहती थीं. प्रह्लाद मोदी कहते हैं कि एक बार उनके बड़े भाई कहीं से कुछ उठा कर ले आये. तो मां ने डंडा लिया और उनकी पिटाई करते हुए वहां तक ले गईं, जहां से वो सामान ले कर आये थे. उन्होंने उस सामान को वापस करवाया. प्रह्लाद मोदी कहते हैं संस्कार देने की जो कला है, ये कला सिर्फ मां दे सकती हैं और हमारी मां से हमें ये संस्कार मिले हैं और मां के स्वभाव में बेइमानी बिल्कुल नहीं थी.


पीएम मोदी के परिवार ने बहुत गरीबी देखी थी. हालात ये थे कि मां हीराबा हफ्ते में 5 दिन कढ़ी और बाजरे की रोटी ही बच्चों को दे पाती थी. कढ़ी में थोड़ा सा बेसन डाला जाता था, वहीं छाछ मुफ्त थी तो उसमें बैंगन डालते थे और पिर इसे पूरा परिवार खा लेता था. मां जानती थी कि कैसे एक रुपया, 5 रुपया या फिर बिना पैसे के भी पूरा परिवार चल सकता है.  


मां हीरा बा का निधन, नम आंखों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया अर्थी को कांधा