Ram Mandir: अयोध्या में श्रीराम का मंदिर बन चुका है और 22 जनवरी को गर्भगृह में प्रभु राम विराजमान होने वाले हैं. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे समुदाय के बारे में बताने जा रहे हैं, जो श्रीराम को आराध्य मानने के साथ खुद को उनकी प्रेमिका मानते हैं और उनसे प्रेम करता है. प्रेम में स्त्री और पुरुष कुछ नहीं होता है. प्रेम एक अहसास है, जहां शिव और पार्वती मिलकर अर्धनारीश्वर बन जाते हैं और राधा से कृष्ण मिलकर राधेकृष्ण बन जाते हैं. 


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अयोध्या में कनक भवन मंदिर स्थित है, यह स्वर्ण भवन मां कैकेयी ने माता सीता को उनकी मुंह दिखायी में दिया था. कहा जाता है कि वनवास जाने से पहले माता सीता और श्रीराम राम इसी कनक भवन रहते थे. भगवान राम से प्रेम करने वाला यह संप्रदाय इसी कनक भवन में राम को पूजते हैं. इस प्रेमी संप्रदाय को 'राम रसिक' कहते हैं. 


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राम रसिक संप्रदाय का कहना है कि उनका भगवान राम से विशेष रिश्ता है. उनका भगवान को पूजने का तरीका सबसे अलग है. वह भगवान राम को प्रेम और सौंदर्य के रूप में देखते हैं. 


राम रसिक संप्रदाय में पुरुष स्त्री भाव से भगवान राम की पूजा करते हैं. प्रभु राम को वह अपना जीजा और खुद को उनकी साली मानते है और राम जी से प्रेमिका की तरह प्रेम करते हैं. राम रसिक जब भी भगवान राम की आरती करते हैं, तो वह सिर पर पल्लू रखते हैं. 


राम रसिक संप्रदाय यह परंपरा कई शाताब्दियों से निभा रहे हैं लेकिन सबसे पहले संत कवि रामानंद ने इस संप्रदाय को एकजूट किया था. वहीं, उनके शिष्य ब्राह्मण कृष्णदास 17वीं शाताब्दी के आखिरी में पहली बार जयपुर के पास गलता में रामानंद संप्रदाय की गद्दी की स्थापना की. इसके बाद उनके दूसरे शिष्य अग्रदास ने राजस्थान के कई भागों में रसिक सम्प्रदाय को स्थापित किया. फिर यहां से रसिक  संप्रदाय अयोध्या, जनकपुर और चित्रकूट में पहुंचा. 


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