Bundi: हाडोती के प्रसिद्ध तीर्थस्थल कमलेश्वर महादेव में हर महीने एक लाख से अधिक की संख्या मे श्रदालुओं का जमघट लगता है. अमावस की चौदस के दिन यहां बड़ी संख्या मे पितृ कार्य के लिए पवित्र कुंडों मे स्नान करके महादेव से आशीर्वाद की कामना के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं. वहीं, सड़कों पर हार्न बजाते वाहन और मंदिर क्षेत्र मे बडी संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की मौजूदगी ने चौदस होने का अहसास करा दिया. 


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जिले में इतनी बड़ी संख्या में श्रदालुओं की भीड़ होने के बावजूद प्रशासनिक अमला बेखबर रहा है. हालांकि, सुरक्षा के लिए सर्किल से 25 पुलिसकर्मियों की टीम व्यवस्था के लिए लगाई है लेकिन वो भी भारी भीड़ को देखते हुए नाकाफी दिखी. वहीं, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन का कोई नुमाइंदा मौजूद नहीं रहा. लोग पीने के पानी से लेकर मुलभूत सुविधाओं के लिए तरसते रहे.


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श्रद्धालुओं ने कीचड़ में किया स्नान
यह कैसी प्रशासनिक व मंदिर सेवा समिति की व्यवस्था रही कि कमलेशdवर महादेव मंदिर के पवित्र कुंडों का पानी रीत गया और श्रद्धालुओं को कीचड़ मे स्नान करना पड़ा. दरअसल, महादेव के दर्शन करने से पहले पवित्र कुंडों में स्नान करने की परंपरा वर्षो से चली आ रही है. कुंडों का भौगोलिक स्वरूप बिगड़ने से इनके परंपरागत जल स्रोत बंद होने से बरसात और इसके बाद इन कुंडों में पानी रीत जाता है. इसके चलते ट्यूबवेल के पानी से कुंडो को भर कर श्रद्धालुओं के लिए स्नान के लिए तैयार किया जाता है. इस बार बुधवार को प्रयास भी नाकाफी रहा. कुंडो मे थोड़ा बहुत पानी ही जमा हुआ था कि अनपेक्षित भीड़ ने पुरी व्यवस्था को धता बता दी.


वहीं, कमलेश्वर महादेव मंदिर अपनी स्थापत्य कला और पाषाण कालीन सभ्यताओं के लिए काफी प्रसिद्ध होने के साथ धार्मिक लिहाज से महत्वपूर्ण है. यहां धार्मिक आस्था के साथ पुरा महत्व और स्थापत्य कला के शोधार्थी वर्ष भर आते रहते हैं. इसके बावजूद प्रशासन इसकी महत्ता को दरकिनार करता आ रहा है. मंदिर परिक्षेत्र पुरी तरह से अव्यवस्थित होने से रोजाना परेशानी खड़ी होती रहती है. यही नहीं यह क्षेत्र राष्ट्रीय स्तर पर स्टोन वर्क शोप के लिए नामांकित होने के बावजूद प्रशासन द्वारा कोई तैयारी नहीं की है.


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कमलेश्वर के लिए बने मास्टर प्लान 
कमलेश्वर महादेव मंदिर परिक्षेत्र के लिए एक ऐसा मास्टर प्लान तैयार हो, जिसके तहत यहां आने वाले श्रदालुओं के साथ पुरा महत्व की बातों की जानकारी के लिए आने वाले शोधार्थियो के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हो सके. श्रद्धालुओं के लिए मुलभुत सुविधाओं की उपलब्धता के साथ ठहराव की समुचित व्यवस्था होनी जरूरी है. इन सबके साथ यह क्षेत्र प्रशासन के  लिए आमदनी का एक बड़ा जरिया बन सकता है.


(इनपुट-संदीप व्यास)