आलमनगर कैसे बना अल्मोड़ा, 500 साल पहले चंदवंश की राजधानी बना शहर, फिर झेला मुस्लिमों और अंग्रेजों का आक्रमण
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आलमनगर कैसे बना अल्मोड़ा, 500 साल पहले चंदवंश की राजधानी बना शहर, फिर झेला मुस्लिमों और अंग्रेजों का आक्रमण

History of Almora: कुमाऊं क्षेत्र की सांस्कृतिक राजधानी अल्मोड़ा न केवल अपनी प्राकृतिक खूबसूरती, मंदिरों और किलों के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसका इतिहास भी अपने आप में कम रोचक नहीं है. जानिये कैसे 500 साल पहले चंदवंशी राजा ने इसकी नींव रखी और फिर आलमनगर से अल्मोड़ा बनने की वजह भी निराली है.

आलमनगर कैसे बना अल्मोड़ा, 500 साल पहले चंदवंश की राजधानी बना शहर, फिर झेला मुस्लिमों और अंग्रेजों का आक्रमण

Almora Ka Itihas: उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले अल्मोड़ा का इतिहास करीब पांच सौ साल पुराना है. चंद वंश के राजा भीषम चंद ने इसे बसाया, शुरु में इसका नाम आलमनगर था जो बाद में अल्मोड़ा हो गया. अल्मोड़ा नाम पड़ने के पीछे भी बड़ी ही रोचक वजह है. कहा जाता है कि इस क्षेत्र में एक खास प्रकार की झाड़ी पाई जाती है. जिसे किल्मोड़ा कहा जाता है. बताया जाता है कि इसी झाड़ी के नाम पर इसे अल्मोड़ा कहा जाता है. वैसे बता दें कि यहां के स्थानीय लोग किल्मोड़ा को किल्मोड़ और अल्मोड़ा को अल्मोड़ ही कहते हैं. चलिये विस्तार से बताते हैं अल्मोड़ा के बारे में जो उत्तराखंड के प्राचीनतम जिलों में से एक है. 

अल्मोड़ा का भौगोलिक परिचय
अल्मोड़ा कुमाऊं प्रभाग का एक जिला है जो पूर्व में पिथौरागढ़ जिला, पश्चिम में गढ़वाल क्षेत्र, उत्तर में बागेश्वर जिला और दक्षिण में नैनीताल जिला से लगा हुआ है. यह 3,139 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है और समुद्रतल से 1,638 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. अल्मोड़ा का पहाड़ी क्षेत्र घोड़े की नाल के आकार के रिज पर स्थित है. इसके पूर्वी भाग को तालिफाट और पश्चिमी को सेलिफाट के रूप में जाना जाता है. 
 
अल्मोड़ा की स्थापना 
अल्मोड़ा को चंद वंश के शासन काल में करीब 500 साल पहले बसाया गया था और शुरू में इसका नाम आलमनगर रखा गया था. चंपावत से राजा भीष्मचंद ने क्षेत्र में कदम रखा और 1560 में नगर के पूर्वी छोर पर स्थित खगमरा कोट पर अधिकार स्थापित कर लिया. तब खगमरा कोट पर कत्यूरी वंश के एक छोटे से राजा का अधिकार हुआ करता था. 
 
चंदवंश की राजधानी बना अल्मोड़ा
भीष्मचंद ने इसे अपने राजनैतिक विस्तार और भविष्य की राजधानी के रूप में विकसित करने का सपना देखा था. लेकिन कुछ ही समय में कत्यूरी राजा ने भीष्मचंद का वध कर दिया. जिसके बाद उसके पुत्र बालोकल्याणचंद को महसूस हुआ कि यह क्षेत्र असुरक्षित है. इसलिए उसने छावनी क्षेत्र को दुर्ग बना डाला और इसे अपनी राजधानी के रूप में विकसित करने लगा. 1563 ईं. खमगरा से राजधानी का विधिवत स्थानांतरण अल्मोड़ा में हो गया लेकिन इससे पहले की बालोकल्याण इसे राजधानी पूर्ण रूप से राजधानी बना पाता उसका निधन हो गया. इसके बाद उसके उत्तराधिकारी रामचंद्र भी इस योजना को आगे नहीं बढ़ा पाए. 
 
अल्मोड़ा में पहला चंदकालीन भवन
बाद में रुद्रचंद ने कल्याणचंद के साथ तेजी से इसका विकास किया. इस दौरान चंपावत से दरबारी और अधिकारी अल्मोड़ा आकर बसने शुरू हो गए थे. नगर में पहला चंदकालीन भवन वर्तमान के पल्टन बाजार के पास नैल के पोखर के पास बनाया गया था. 
 
चंदवंशी राजा की अकबर से दोस्ती
रुद्रचंद के मुगल सम्राट अकबर से मित्रता थी उनके दरबार में उसका आना-जाना लगा रहता था. रुद्रचंद के शासनकाल के दौरान ही इस क्षेत्र में मल्ला महल का निर्माण हुआ. इस तरह चंदवंश के राजाओं के शासन काल में 1729 ई. तक इस क्षेत्र ने एक विकसित नगर का रूप ले लिया.
 
अल्मोड़ा का अंधकार युग
1744-45 ई. के बाद अल्मोड़ा के अंधकार युग यानी पतन की शुरूआत हो गई. रुहेला सरदार अली मोहम्मद ने अपने 10 हजार सैनिकों के साथ अल्मोड़ा पर आक्रमण कर यहां खूब लूटपाट मचाई. मगर 10 ही महीने बीते होंगे कि कल्याणचंद ने रुहेलों को हराकर अल्मोड़ा पर फिर से अपना अधिकार कर लिया.  लेकिन चंद वंश में अब वो दमखम नहीं रहा था इसलिए लिए 1790 में यह नगर गोरखों और 1815 में अंग्रेजों के हाथों चला गया. 
 
पिथौरागढ़ और बागेश्वर थे अल्मोड़ा का हिस्सा
आजादी के बाद 1947 से 1960 तक पिथौरागढ़ और बागेश्वर भी अल्मोड़ा का ही हिस्सा हुआ करते थे. 24 फरवरी 1960 को पहले पिथौरागढ़ बना और फिर 15 अगस्त 1997 कोबागेश्वर का गठन हुआ.
 
उत्तराखंड की सबसे पुरानी नगरपालिका
अल्मोड़ा नगरपालिका उत्तराखंड की सबसे पुरानी नगरपालिका है इसकी स्थापना 1864 ई. में हुई थी. 
 
अल्मोड़ा में और क्या-क्या
-अल्मोड़ा में तांबे के बर्तन और ऊनी कपड़े बनाने की परंपरा है. 
-अल्मोड़ा में मल्ला महल नागर शैली में बना है. इसे बनाने के लिए लकड़ी और पत्थर का इस्तेमाल किया गया था. 
-अल्मोड़ा में रामशिला मंदिर को उत्तर मध्यकालीन वास्तुकला का बेहतरीन नमूना माना जाता है. 
-अल्मोड़ा से 30 किलोमीटर दूर बिन्सर में वन्यजीव अभयारण्य है. यहां ओक और रोडोडेंड्रन के घने जंगल हैं. 
 
अल्मोड़ा में घूमने लायक जगह
मंदिर: नंदा देवी मंदिर, जागेश्वर धाम मंदिर, कसार देवी मंदिर, कटारमल सूर्य मंदिर, गणनाथ मंदिर, चितई गोलू देवता मंदिर, बानडी देवी मंदिर 
 
किले: खगमरा किला, मल्लाताल किला, लालमंडी किला, रायलाकोट अल्मोड़ा क्षेत्र के प्रसिद्ध किले हैं. 
 
गुफ़ाएं: लख उडियार गुफ़ाएं, जो अल्मोड़ा-सेराघाट मार्ग पर सुयाल नदी के किनारे स्थित हैं. 
 
ब्राइट एंड कॉर्नर: यह जगह सूर्योदय और सूर्यास्त के खूबसूरत नज़ारों के लिए मशहूर है. 
 
गोविंद बल्लभ पंत संग्रहालय: इतिहास प्रेमी यहां लोक चित्रकला और अन्य खज़ानों के दर्शन कर सकते हैं. 
 
लाला बाज़ार: यह बाजार लगभग 200 साल पुराना बताया जाता है.

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