Lok Sabha Election 2024 : चूरू से दो बार बड़ी जीत हासिल कर चुके राहुल कस्वां के लिए कितनी बड़ी चुनौती हैं BJP के झाझड़िया
Rajasthan Politics : चूरू लोकसभा सीट में बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र झाझड़िया, कांग्रेस उम्मीदवार राहुल कस्वां के लिए कितनी बड़ी चुनौती साबित होंगे.
Lok Sabha Election 2024 : राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से चूरू एक अहम सीट है. इसे थार मरुस्थल का द्वार भी कहा जाता है. इस जिले सबसे अधिक सर्दी और सबसे अधिक गर्मी के लिए जाना जाता है. चूरू की स्थापना 1620 ई. में चूहरू जाट ने की थी. इसके अंतर्गत आठ विधानसभा क्षेत्र हैं. 1977 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था. जिसमें जनता पार्टी के दौलतराम सारन यहां के पहले सांसद बने. पर्यटन स्थलों में यहां रत्नागढ़ किला, सुराना हवेली, कोठारी हवेली, ताल छापर सेंचुरी प्रसिद्ध है. धार्मिक स्थलों में यहां भगवान हनुमान का मंदिर सालासार बालाजी प्रसिद्ध हैं.
भाजपा का परचम
लोक सभा क्षेत्र में आठ विधानसभा आती है, जिनमें चूरू, सादुलपुर, तारानगर,नोहर, भादरा, सरदारशहर, रतनगढ व सुजानगढ़ है. सभी विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर, करीब 22लाख से अधिक मतदाता हैं, जो अपने मताधिकार का प्रयोग कर 18वीं लोकसभा के सदस्य को चुनेंगे. चूरू लोकसभा क्षेत्र भाजपा का अभेद्य किला मानी जाती है, करीब तीन दशकों से भाजपा लगातार अपना परचम लहरा रही है. विषम परिस्थितियों में भी भाजपा चूरू में अपनी सीट सुरक्षित रखने में सफल रही है. जबकि चूरू में किसी बड़े मुद्दे पर आज तक चुनाव नहीं लड़ा गया है.
कस्वांं के खिलाफ नाराजगी?
कांग्रेस प्रत्याशी राहुल कस्वां, दो बार से लगातार सांसद रहे लेकिन उनके खाते में कोई खास उपलब्धि नहीं है, अब कांग्रेस में जाने के बाद इनको भितरघात का खतरा बन हुआ है, जिले के कांग्रेस नेता इनकी भाजपा जॉइनिंग को लेकर अपना विरोध जता चुके हैं, अब देखना होगा वो कस्वां को कितना स्वीकार करते हैं, नोहर, भादरा, सरदारशहर और तारानगर क्षेत्र में रेल सुविधाओं का अभाव होने से और विस्तार नहीं होने से कस्वां के प्रति नाराजगी बनी हुई है.
क्या मिलेगा कस्वां को फायदा?
क्षेत्र के कई विधानसभा क्षेत्रों में राहुल कस्वां की उपस्थिति कम होने के कारण भाजपा कार्यकर्ताओं में जुड़ाव नहीं रहा. पिछले विधानसभा चुनाव में जिले में पार्टी के खिलाफ कार्य करने का आरोप भाजपा प्रत्याशियों द्वारा लगाया गया था. जिसको टिकट कटने का कारण माना जा रहा है. पूर्व सांसद रामसिंह कस्वां के पुत्र राहुल कस्वां को पिता की राजनीति विरासत का भरपूर फायदा मिला है, वही 10वर्ष लगाता चूरू के सांसद रहने के बाद वे राजनीति में परिपक्व हो गए हैं, जिसका फायदा भी इन्हें मिलने की संभावना है. दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र झाझड़िया की राजनीतिक अनुभव की कमी का कस्वां को फायदा मिल सकता है.
देवेन्द्र झाझड़िय बीजेपी का नया चेहरा
भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र झाझड़िया का नया चेहरा होना और किसान परिवार से आने वाले सरल और सौम्य स्वभाव होने के कारण झाझड़िया का कोई विरोध नहीं दिखाई दे रहा है, जिसका फायदा भाजपा को मिल सकता है. झाझड़िया का जाट जाति से होना लोकसभा चुनाव में फायदा मिल सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी देवेंद्र झाझड़िया को टिकट देकर भाजपा ने देश के 7 करोड़ दिव्यांगो को बड़ा संदेश दिया है. देवेंद्र झाझड़िया के भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद पूरे लोकसभा क्षेत्र में भाजपा एकजुट दिखाई दे रही है, इनके साथ भीतरघात की संभावना ना के बराबर है.
युवाओं में खासा उत्साह
देवेन्द्र झाझड़िया खेल से जुड़े होने के कारण युवाओं में काफी उत्साह बना हुआ है, खेल सुविधाओं में विस्तार को लेकर भी युवाओं को खेल सुविधाओं में काफी उम्मीद है. झाझड़िया भले ही राजनीति में नया चेहरा हों, लेकिन उनको तीन बार ओलोम्पिक मेडल और पदम् भूषण से सम्मानित होने के कारण झाझड़िया जिले की बड़ी सेलेब्रिटी भी हैं. जिसका लाभ लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिल सकता है. हाल ही में हुए शेखावाटी क्षेत्र के लिए यमुना जल समझौते, राम मंदिर निर्माण और केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ भाजपा को मिलने की पूरी उम्मीद है. लोकसभा क्षेत्र में जाट मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक होने के कारण इस बार दोनों प्रमुख पार्टियो ने जाट चहरे पर दांव खेला है. साल 2019 में भाजपा प्रत्याशी राहुल कस्वां को 7 लाख 92हजार999 मत प्राप्त हुआ थे, जिसमे कांग्रेस के रफीक मंडेलिया को 3 लाख 34 हजार 402 मतों से पराजित किया.
साल 2014 में भाजपा प्रत्याशी राहुल कस्वां ने 5 लाख 95 हजार 756 मत प्राप्त कर, अपने प्रतिद्वंद्वी बसपा के अभिनेश महर्षि को 2 लाख 94 हजार 739 मतों के अंतर से पराजित किया. वहीं, साल 2009 भाजपा के रामसिंह कस्वां, 3 लाख 76 हजार 708 मत प्राप्त कर , कांग्रेस के रफीक मंडेलिया को कड़ी टक्कर में 12 हजार 440 मतों पराजित किया था. राहुल कस्वां के पिता रामसिंह कस्वां 6 बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें उन्होंने 4 बार विजय हासिल की थी. इस चुनाव में कस्वां परिवार की भाजपा से टिकट कटने के बाद राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. चुनाव में केंद्र और राज्य सरकार के बीच हुए यमुना जल समझौता के कारण सूखाग्रस्त बड़े भू-भाग को जल मिलने से भाजपा को बड़े लाभ की उम्मीद है.
Reporter- Navratan Prajapat