Butati Dham Temple: राजस्थान में एक ऐसा मंदिर है जहां असाध्य रोग लकवा बिलकुल दर्शन मात्र से ठीक हो जाता है.लकवे का ऐसा उपचार आपने पहले कहीं नहीं देखा होगा.यह मंदिर इंटरनेट पर इतना वायरल हो चुका है कि देश ही नहीं, विदेशों से भी लोग अपना या अपने परिजन का इलाज कराने आते हैं. अमेरिका, आस्‍ट्रेलिया और अफगानिस्‍तान से भी मरीज यहां आकर अपना इलाज करा कर जा चुके है.


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बुटाटी धाम मंदिर संत चतुरदास जी महाराज के नाम से जाना जाता है. अपनी खास मान्‍यता के चलते देश भर में ही नहीं विदेशों में भी मशहूर हो रहा है. मान्‍यता है कि इस मंदिर में सात दिन तक आरती-परिक्रमा करने से पैरालिसिस के मरीज ठीक होकर जाते है. लोगों का दावा है कि सात दिन बाद लकवे ठीक हो जाते या बहुत हद तक सुधार होते हुए देखा गया.


रहस्यमयी मंदिर विज्ञान को ठेंगा दिखाता 


बुटाटी धाम में लकवे का इलाज बिल्कुल फ्री और वो भी केवल 7 दिनों में होता है. यहां का रहस्यमयी मंदिर विज्ञान को ठेंगा दिखाता है. बुटाटी धाम मंदिर एक प्राचीन मंदिर है. राजस्थान में मौजूद मंदिरों की तुलना में यह एक अनोखा मंदिर है. यह मंदिर पैरालिसिस यानी लकवे के मरीजों के लिए जाना जाता है. मान्‍यता है कि यहां सात दिन तक सुबह शाम नियमित रूप से आरती एवं परिक्रमा करने एवं तत्‍पश्‍चात भभूत ग्रहण करने से लकवे के मरीजों की तकलीफ खत्म हो जाती है. लोगों के आस्‍था के चलते यहां देश भर से मरीजों का तांता लगा रहता है.


सात दिन का नियम और लकवा गायब


यहां मरीजों को 7 दिन तक रुकने की अनुमति  मिलती है. इससे ज्यादा यहां ठहरने की इजाजत नहीं होती है.इसके पीछे की वजह भी बेहद खास है. मंदिर प्रबंध समिति के अध्‍यक्ष ने बताया कि यहां काफी दूर-दूर से लोग आते है. यहां देश नहीं विदेशी मरीज भी आते है. नए लोगों के आने की वजह से यहां इन लोगों का व्यवस्था करना और देखना  मंदिर प्रबंध समिति की जिम्मेदारी होती है. कोई भी मरीज यहां आता है तो सबसे पहले उसका रजिस्‍ट्रेशन किया जाता है. उसके अनुसार उसे सामग्री भी उपलब्‍ध कराई जाती है. सात दिनों तक पूजा और उपचार किया जाता है. ऐसे में दर्ज तारीख के अनुसार सातवें दिन उसे ये स्‍थान खाली करना होता है. 


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नागौर जिले की देगाना तहसील में मौजूद


दुनियाभर में बुटाटी धाम के नाम से फेमस यह मंदिर राजस्‍थान के नागौर जिले की देगाना तहसील में स्थित है. यहां से निकटतम रेलवे स्‍टेशन मेढ़ता रोड है जो करीब 45 किमी दूर है. जयपुर एवं जोधपुर रूट पर यह स्‍टेशन आता है. स्‍टेशन से मंदिर आने के लिए जीप, ऑटोरिशक्शा मिलती है. ठहरने के लिए मंदिर परिसर से आधा किमी दूर अजमेर-कोटा रोड पर गेस्‍ट हाउस है. लेकिन अधिकांश लोग मंदिर परिसर में ही ठहरते हैं.