Sachin Pilot - Ashok Gehlot : राजस्थान की सियासत में चुनाव से पहले एक सियासी बिसात बिछनी शुरू हो गई है. कांग्रेस में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के खुले ऐलान के बाद हड़कंप हैं, पायलट अपने समर्थकों के साथ मंगलवार को शहीद स्मारक पर दिनभर अनशन कर अपनी ही सरकार को घेरेंगे. इस घोषणा के बाद जयपुर से लेकर दिल्ली तक में कांग्रेस के सियासी गलियारें कई तरह की कानाफूसी शुरू हो गई है. इसी बीच डैमेज कंट्रोल के लिए प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी जयपुर पहुंच रहे हैं तो वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी हर सवाल का खुलकर जवाब दे सकते हैं. 


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दरअसल सचिन पायलट ने वसुंधरा राजे सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार पर कार्रवाई के लिए दो मर्तबा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा, लेकिन इसपर किसी तरह कोई एक्शन ना होने से खफा सचिन पायलट ने अपनी सरकार के खिलाफ अनशन का ऐलान कर दिया है. इसके लिए पायलट अपने हजारों समर्थकों के साथ शहीद स्मारक पर अनशन में बैठेंगे. 


मंत्री-विधायकों को रखेंगे दूर


अनशन के दौरान सचिन पायलट अपने समर्थक मंत्री और विधायकों को दूर रखेंगे. इसके पीछे एक सोची समझी रणनीति है. दरअसल विधायकों और मंत्री को दूर रखने का सबसे बड़ा कारण हैं कि इससे तुलना होती की गहलोत-पायलट गुट में कितने विधायक है. किसे कितनों का समर्थन मिला. साथ ही इसे बगावत से भी जोड़ कर देखा जाता. लिहाजा ऐसे में पायलट अपने समर्थकों के साथ ही अनशन करते नजर आएंगे.


मुख्यमंत्री गहलोत दे सकते हैं जवाब


सचिन पायलट के आरोपों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जवाब दे सकते हैं. माना जा रहा है कि सीएम गहलोत मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला कर पायलट के सभी आरोपों का खुल कर जवाब दे सकते हैं. लिहाजा ऐसे में दोनों फ्रंटफुट पर आमने सामने होंगे. 


प्रभारी रंधावा करेंगे डैमेज कंट्रोल


इस मामले में डैमेज कंट्रोल के लिए खुद प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर रंधावा जयपुर पहुंच रहे हैं, रंधावा पायलट के मसले को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत और पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा से चर्चा कर सकते हैं. हालांकि रंधवा यह साफ कर चुके हैं कि उन्हें प्रभारी बनने के उनकी पायलट से 10 बार मुलाकात हो चुकी हैं, लेकिन पायलट ने कभी भी पिछली सरकार के भ्रस्टाचार के मामले में एक्शन का मामला उनके सामने नहीं उठाया. 


गौरतलब है कि सचिन पायलट ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मैंने मुख्यमंत्री गहलोत को पूर्व CM वसुंधरा राजे के समय हुए घोटालों पर कार्रवाई को लेकर दो बार चिट्ठी लिखी, लेकिन गहलोत ने कोई एक्शन नहीं लिया। चुनाव में 6-7 महीने बचे हैं. ऐसे में विरोधी भ्रम फैला सकते हैं कि मुख्यमंत्री और पूर्व मुखिया के बीच कहीं कोई मिलीभगत तो नहीं है. ऐसे में जलद्कि कार्रवाई करनी होगी. ताकि जब हम चुनाव में जाए तो लोग हमारी बात पर यकीन करें.


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