Rajasthan: गौरी मैया की तपो भूमि, जहां गुफा को बाहर से देखने पर दिखाई देते है गजानन
Ganesh chaturthi 2023:राजस्थान के राजसमंद जिले के भीम में गौरी मैया ने तपस्या करके भगवान शिव को प्राप्त किया. यहां पर ही भगवान गणेशजी की उत्पत्ति हुई थी. यह 60 किमी की दूरी पर गौरीधाम घने जंगलों के बीच में बसा हुआ है.
Ganesh chaturthi 2023: राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित एक ऐसी तपो भूमि है, जिसके बारे में हर कोई जानना चाहेगा. यहां के लोग और साधु संत बताते हैं कि इसी जगह पर ही गौरी मैया ने तपस्या करके भगवान शिव को प्राप्त किया. यहां पर ही भगवान गणेशजी की उत्पत्ति हुई थी. जब भगवान शिवजी ने माता पार्वती को गुफा के अंदर से देखा तो उनकी आंखों के निसान आज भी गुफा पर मौजूद है.
कुंड की गहराई पाताल लोक तक
इतना ही नहीं यहां पर वह कुंड भी है, जिसमें माता पार्वती स्नान किया करती थीं. इस कुंड की गहराई पाताल लोक तक की बताई जा रही है. और इतना ही नहीं गुफा को जब बाहर से देखा जाता है तो भगवान गणेशजी के मुख की आकृति दिखाई देती है.
60 किमी की दूरी पर गौरीधाम
बता दें कि राजसमंद जिला मुख्यालय से लगभग 60 किमी की दूरी पर गौरीधाम घने जंगलों के बीच में बसा हुआ है. लोगों और साधुओं के जरिए बताया गया कि यह वही गुफा है, जहां पर गौरी मैया यानि माता पार्वती ने तपस्या करके भगवान शिव को पाया था. इस जगह बहुत से साधु संतों ने तपस्या की है.
गुफा में बाहर से देखने पर दिखते गजानन
गुफा और गौरी कुंड तक जाने के लिए लगभग 1 किलोमीटर का पैदल सफर जंगल के रास्ते होकर जाना पड़ता है. गुफा में बने गौरी मैया के मंदिर के बाहर गौर से देखने पर पाया कि गुफा की आकृति भगवान गणेशजी के मुख यानि सिर के नुमा दिखाई देती है.
भगवान शिव की आंखों के निशान गुफा में मौजूद
गुफा के बाहर सागरगिरी महाराज ने बताया कि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव और माता पार्वती विराजमान थे. उस दौरान किसी बात को लेकर माता पार्वती नाराज हुईं और गौरीधाम आ गईं. काफी समय बाद जब माता पार्वती पुन: कैलाश पर्वत नहीं पहुंची तो भगवान शिव ने नन्दीजी को माता पार्वती का पता लगाने के लिए भेजा था, तब जाकर माता पार्वती यानि गौरी मैया का यहां होने का पता चला. इसके बाद तपस्या करने के दौरान भगवान शिव ने जब माता पार्वती को देखा था. वह आंखों के निशान आज भी गौरीधाम की गुफा में मौजूद है.
बताया जाता है कि माता पार्वती जिस कुंड में स्नान किया करती थीं, इस कुंड के बारे में भी जिक्र हुआ, जिसे गौरी कुंड के नाम से जाना जाता है. इस गौरी कुंड की गहराई पाताल तोड़ तक की बताई जा रही है.
भगवान गणेशजी की हुई थी उत्पत्ति
यह भी बताया कि यहां माता पार्वती ने स्नान करने से पहले अपने मेल से भगवान गणेशजी उत्पत्ति की थी और कुंड में स्नान करने के दौरान बाहर गणेशजी को सुरक्षा के लिए कहा गया था. इस दौरान भगवान शिव और भगवान गणेशजी में युद्ध हुआ और इसी जगह पर गणेशजी का सिर धड़ से अलग हुआ था. इसके बाद गणेशजी की आवाज सुनकर माता पार्वती कुंड से बाहर आईं और पुत्र को पुन: जीवित करने के बात कही. इस दौरान गणेशजी के लगाने के लिए सबसे पहले जो सिर मिला यानि हाथी का सिर वह लगाया गया.
बता दें कि जंगल के बीच में बसे इस गौरीधाम में दूरदूर से लोग आते हैं. तो वहीं इस दौरान गुफा के बाहर रखवाली करने वाले मोहन भील ने बताया कि कई बार यहां पर असामाजिक तत्व भी आ जाते हैं जिनकी वजह से काफी परेशानी होती है.
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