Rajsamand news: राजसमंद जिले में कुछ दिन पूर्व आए बिपरजॉय तूफान ने जमकर कहर ढहाया. जिसके साइड इफेक्ट आज भी देखने को मिल रहे हैं. इस तूफान के चलते नदी व बांध ओवरफ्लो हो गए थे. तो वहीं कई जगह गांवों से संपर्क तक टूट गया. बता दें कि जिले में स्थित देसूरी नाल मार्ग आज भी पूरी तरह से बंद पड़ा है. यह मार्ग मेवाड़ से मारवाड़ को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है. मुख्य मार्ग बंद होने के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और देसूरी जाने वाले लोगों को लगभग 10 किलोमीटर तक पैदल चलकर इस मार्ग को पार करना पड़ रहा है.


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बता दें कि देसूरी नाल रोड ही जोधपुर और पाली की ओर जाने का यह मुख्य रास्ता है जो कि अभी बंद पड़ा है. जब जी मीडिया की टीम ने देसूरी नाल रोड का जायजा लिया तो लगभग 5 जगहों पर आज भी मलबा पड़ा हुआ दिखाई दिया. चार दिन पूर्व आए इस तूफान के चलते चट्टानों से पत्थर टूटकर बीच रोड पर पड़े हुए हैं. ओर तो ओर रोड के किनारे लगी सेफ्टी वॉल भी टूटकर नीचे खाई में पड़ी हुई दिखाई दी. 


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आपको बता दें कि कई सालों से इस रोड को चौड़ी करने की मांग चल रही है लेकिन प्रशासन द्वारा इस ओर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है. जबकि देसूरी नाल संघर्ष समिति के अध्यक्ष भंवर सिंह मारवाड़ के साथ ग्रामीणों द्वारा समय समय पर प्रशासन को अवगत करवाया जा रहा है. बता दें कि भंवर सिंह मारवाड़ देसूरी नाल रोड को चौड़ी करवाने के लिए कई वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं इतना ही नहीं उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ यहां पर हवन तक किया हुआ है. 


आज भी देसूरी नाल संघर्ष समिति के अध्यक्ष मारवाड़ के नेतृत्व में सदस्यों ने राजसमंद कलेक्टर को ज्ञापन देते हुए मांग की जल्द मार्ग को सही करवाया जाए और इस रोड को चौड़ा किया जाए ताकि दुर्घटनाओं से बचा जा सके.आपको बता दें कि देसूरी की नाल रोड पर ही लगभग 17 साल पहले एशिया का सबसे बड़ा एक्सीडेंट हुआ था जिसमें करीब 89 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी थी. बताया जा रहा है कि देसूरी नाल रोड सकड़ी, ज्यादा ढलान और घुमाव होने की वजह से यहां पर सालभर में लगभग 15 से 20 एक्सीडेंट की सूचना सामने आ ही जाती है. 


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कोई बड़ा हादसा घटित ना हो इसी के चलते राजसमंद जिला प्रशासन द्वारा इस मार्ग को अभी बंद किया हुआ है. इस पर ग्रामीणों और यात्रियों का कहना है कि तीन दिन बीत जाने के बाद भी मार्ग से मलबा नहीं हटाया गया जिसके काफी परेशानी हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि बड़े वाहनों का कुछ दिनों तक प्रवेश भले ही बंद रखा जाए लेकिन छोटे वाहनों को आने जाने का प्रवेश दिया जाए.