Sawai Madhopur: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का नारा, बेटा बेटी एक समान और समाज में बेटियों को बराबरी का दर्जा देना आज उस समय सवाई माधोपुर में प्रमाणित हुआ जब पिता की अर्थी को कंधा देने के लिए चार बेटियां घर से बाहर निकली और पिता की अर्थी को कंधा देकर मोक्ष धाम तक पहुंचाया. इतना ही नहीं बेटियों ने पिता की अर्थी को कंधा देने के साथ-साथ मुखाग्नि भी दी. 


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सवाई माधोपुर एसडीएम ऑफिस में कार्यरत 44 वर्षीय रमेश चंद्र महावर पिछले रविवार को सवाई माधोपुर जिले के बोली उपखंड में आयोजित एक मीटिंग में भाग लेने के लिए बौंली गए थे. जहां पर रमेश चंद महावर की अचानक तबियत बिगड़ गई ,जिसे लेकर साथ में मौजूद साथी कर्मचारियों ने रमेश चंद्र महावर को जयपुर ले जाकर एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया. जहां विगत दिनों से उनका इलाज चल रहा था.


बताया जा रहा है कि रमेश चंद महावर को ब्रेन हेमरेज हुआ था. उपचार के दौरान कई बार रिकवरी भी देखने को मिली लेकिन उपचार के दौरान आज एसएमएस अस्पताल में रमेश चंद महावर की मौत हो गई. मौत के बाद रमेश चंद्र महावर का शव उनके सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय के खेरदा स्थित शिव कॉलोनी आवास पर पहुंचा. रमेश चंद महावर के कोई बेटा नहीं है और उनके चार बेटियां है.


ऐसे में समाज में बेटियों के उत्थान के बारे में सोचते और बात करते हुए रमेश चंद महावर कहते थे कि बेटा बेटी एक समान है और उनकी इस कहावत को आज उनकी चारों बेटियों ने सही साबित कर दिया. जैसे ही पिता की अर्थी घर से निकली तो बेटियों ने अपने कंधों पर पिता की अंतिम यात्रा करवाई. इतना ही नहीं चारों बेटियों ने समाज के लोगों के साथ पिता की अर्थी को मोक्ष धाम तक पहुंचाया और फिर पिता की चिता तैयार करवाने में सहयोग किया और फिर पिता को मुखाग्नि भी दी. रमेश चंद महावर की बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा देकर व मुखाग्नि देकर ये साबित कर दिया कि बेटा बेटी में किसी तरह का भेद नहीं होता.



Reporter- Arvind Singh


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