Ranthambore Tiger Reserve: बाघ-बाघिनों की अठखेलियों को लेकर विश्व प्रसिद्ध रणथंभौर की बाघिन टी 39 नूर ने अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर मां बन कर सबको चौंका दिया. जानकारों के अनुसार उम्रदराज बाघिन के मां बनने के चांस कम होते हैं. देश के अन्य अभ्यारणों सहित रणथम्भौर में ऐसे कम ही मामले सामने आए हैं, जब कोई बाघिन 15 साल की उम्र में मां बनी हो.  इससे पहले रणथंभौर में 13 साल की उम्र में बाघिन मछली ने तीन शावकों को जन्म दिया था.


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खूबसूरत बाघिन नूर बनी मां
 बाघिन टी-39 को रणथम्भौर में नूर के नाम से जाना जाता है. जो रणथमभौर की सबसे खूसूरत बाघिनों में एक है.  यह अब तक पांच बार मां बनी चुकी है.  इस बाघिन टी-39 की उम्र करीब 16 साल  है.  इसकी खूबसूरती के चलते ही बाघिन टी-39 को नूर नाम दिया गया था.


 बाघिन की टेरेटरी फिलहाल रणथम्भौर के जोन नम्बर 1 में है. अमूमन बाघिन की उम्र 15 से 16 साल ही मानी जाती है , जिसमें बाघिन करीब 10 से 12 साल तक की उम्र में शावकों को जन्म दे देती है. बढ़ती उम्र में हार्मोन्स के बदलाव के कारण बाघिन 12 साल बाद मां नहीं बन सकती है, लेकिन रणथंभौर की नूर ने करीब 15 साल की उम्र में मां बनकर सभी को चौंका दिया था.


वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बाघिन टी 39 नूर अब तक पांच बार मां बन चुकी है. बाघिन टी 39 नूर, बाघिन टी-13 की बेटी है. बाघिन टी-39 ने पहली बार मां बनने पर सुल्तान को जन्म दिया था.  दूसरी बार में बाघिन टी-39 ने दो शावक कालू और धोलू को जन्म दिया. तीसरी बार इसने दो बच्चों को जन्म दिया था, लेकिन वह सरवाइव नहीं कर सके थे. चौथी बार में बाघिन नूर ने तीन टाइग्रेस नूरी, सुल्ताना और टी-106 को जन्म दिया जिनमें से टी-106 को मुकुंदरा भेज दिया गया. करीब चार माह पहले बाघिन ने 15 साल की उम्र में दो शावकों को जन्म दिया है. 


बाघिन उम्र के आखिरी पड़ाव पर होने के कारण कई दिनों से शावकों को दूध भी नहीं पिला पा रही थी. फिलहाल यह बाघिन अकेले घूमते हुए दिखाई दे रही है. इसके शावक लम्बे समय से किसी को दिखाई नहीं दिए हैं .इसलिए माना जा रहा है कि वे अब जीवित नहीं हैं. 


बच्चों के लिए भिड़ी थी बाघ से
रणथम्भौर की बाघिन टी-39 नूर दुनिया की एक मात्र ऐसी बाघिन है जो साल 2016 में अपने बच्चों को बचाने के लिए बाघ टी-57 से भिड़ गई थी.अक्सर बाघिन बाघ के सामने नहीं होती है, लेकिन टी-39 अपनी ममता के चलते टी-57 से भिड़ गई थी. इसने अपने बच्चे कालू और धोलू को बाघ टी-57 से बचाने के लिए अपनी टेरेटरी खुद से ही भगा दिया था. 


रणथम्भौर के ACF (सहायक वन संरक्षक) मानस सिंह ने बताया कि हाल के कुछ सालों में रणथम्भौर में इस तरह उम्रदराज बाघिन के मां बनने का यह पहला मामला है. अमूमन ऐसा देखा गया है कि बाघिन 10 से 12 साल तक की उम्र में मां बनती है, लेकिन नूर के मामले में यह एक अपवाद है. जानकारी के अनुसार इससे पहले रणथम्भौर की रानी कही जाने बाली बाघिन मछली ने 13 साल की उम्र में साल 2011 में तीन मादा शावकों को जन्म दिया था. मछली ने टी-17 सुंदरी, टी-18 और टी-19 को जन्म दिया था. जिनमें से टी-17 सुंदरी की मौत हो गई जबकि टी-18 को सरिस्का भेज दिया. टी-19 कृष्णा की टेरिटरी फिलहाल रणथम्भौर जोन नम्बर चार में है.


राजस्थान प्रदेश के दूसरे राइगर रिजर्व रणथंभौर के बाघों से गुलजार है ,1700 वर्ग किलोमीटर के एरिया में फैले दुनिया के प्रसिद्ध रणथम्भौर टाइगर रिजर्व 77 बाघ-बाघिनों सहित कई जानवरों का घर है. प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व रणथम्भौर के बाघ-बाघिनों से ही गुलजार हैं. अब तक रणथम्भौर से 16 टाइगर शिफ्ट किए गए हैं. रणथम्भौर से सरिस्का, मुकुंदरा, सज्जनगढ़ और रामगढ़ विषधारी में टाइगर भेजे गए हैं. रणथम्भौर से सरिस्का में 10 टाइगर, मुकुंदरा में पांच टाइगर और रामगढ़ विषधारी और सज्जनगढ़ उदयपुर के लिए एक एक टाइगर भेजा जा चुका है.


Reporter: Arvind Singh


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