Sikar News: सीकर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन सीटू के नेतृत्व में सैकड़ों आंगनबाड़ी कर्मियों ने मांगों को लेकर रैली निकाली और प्रदर्शन किया. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने किशन सिंह ढाका स्मृति भवन से रैली शुरू कर बाजार से होते हुए कलेक्ट्रेट पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए सीटू के जिला महामंत्री बृज सुंदर जांगिड़ ने कहा कि हमारी यूनियन द्वारा महिला बाल विकास विभाग के जयपुर मुख्यालय पर 3 फरवरी को किए गए प्रदर्शन के बाद राज्य सरकार द्वारा बजट घोषणा ने मानदेय में 15% बढ़ोतरी की गई है जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.


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ये राज्य कर चुकी है 18000 महीने का गजट नोटिफिकेशन जारी
राजस्थान की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और आशाओं को पूरे देश में सबसे कम मानदेय दिया जा रहा है. यहां पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 8500 सहायिका को 4890तथा आशा सहयोगिनी को केवल 3500 मानदेय दिया जा रहा है. जबकि केरल सरकार 18000 महीने का गजट नोटिफिकेशन जारी कर चुकी है तथा हरियाणा, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु व तेलंगाना में 10000 से लेकर 14000 तक मानदेय दिया जा रहा है. सीटू मांग करती है कि आंगनबाड़ी कर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देकर 26000 महीना वेतन दिया जाये .


आंगनबाड़ी कर्मियों ने की ये मांग
आंगनबाड़ी कर्मियों की नेता विमला ने कहा कि आसमान छूती महंगाई में 45 पैसे में गर्म खाना कैसे संभव है सरकार को प्रति बच्चे के लिए 5 रू न्यूनतम देना चाहिए. विभाग द्वारा निर्धारित पाँच कार्यों के अलावा तथा केंद्र खुलने के पहले व बन्द होने के बाद में अधिकारियों द्वारा कोई भी सूचना मांगने व कार्य करवाने पर रोक होनी चाहिए. सभा को विद्या कंवर, शशि, बिमला कंवर, सुशीला, सुनील चौधरी व मनभरी सहित अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया. सभा के बाद जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री महोदय के नाम 9 सूत्री मांग का ज्ञापन देकर,स्थाई करने ,पोषण ट्रैकर ऐप के जरिए शोषण बंद करने ,सेवानिवृत्ति पर 10लाख ग्रेच्युटी देने, पेंशन 10000 रू मासिक देने व सुपरवाइजर के 50% पद आंगनबाड़ी कर्मियों से ही भरे जाने की मांग की गई.


सभा को संबोधित करते हुए किसान मजदूर नेता किशन पारीक ने कहा कि कोविड-19 के समय जिस तरह आंगनबाड़ी कर्मियों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर फ्रंटलाइन पर रहते हुए आम लोगों की जिंदगी बचाई वह काबिले तारीफ है लेकिन बीजेपी की केंद्र सरकार व कांग्रेस की गहलोत सरकार इनको सम्मानजनक वेतन भी नहीं दे रही है. जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा न्यूनतम वेतनमान के लिए गाइडलाइन जारी की हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार इनकी न्यायोचित मांगों को शीघ्र पूरा करें.