राजस्थान की सबसे चर्चित विधानसभा टोंक के एकमात्र सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में बदहाली, मरीजों को परेशानी
जब डॉक्टरों से ड्रेस कोड के बारे में बातचीत करनी चाहिए तो डॉक्टरों ने मरीजों की एक्स-रे रिपोर्ट से अपना मुंह छुपा लिया.
Tonk: राजस्थान की सबसे चर्चित विधानसभा टोंक के एकमात्र सबसे बड़े सरकारी सआदत अस्पताल की बदहाली आठवें दिन भी प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बी एल मीणा की लापरवाही और मनमानी के चलते बदस्तूर जारी रही. अस्पताल में डिजिटल भारत अभियान की उड़ती हुई धज्जियां सुधर नहीं पाई.
दूसरी ओर एक भी डॉक्टर अपने ड्रेस कोड में नजर नहीं आया. जब डॉक्टरों से ड्रेस कोड के बारे में बातचीत करनी चाहिए तो डॉक्टरों ने मरीजों की एक्सरे रिपोर्ट से अपना मुंह छुपा लिया. इस दौरान डॉक्टरों के बाहर उपचार का इंतजार कर रहे मरीजों ने अस्पताल की अवस्थाओं पर खुलकर अपनी बात रखी.
दूरदराज से आए लोगों ने अस्पताल में सुविधाओं पर बताते हुए कहा है कि जिले का सबसे बड़ा अस्पताल है लेकिन यहां पर सुविधाएं धर्मशाला से भी बदत्तर हैं. ऐसे में यहां पर उपचार कराने के बजाय लोग सिर्फ इंतजार करते रहते हैं डॉक्टरों से बात करते हैं तो वह बदतमीजी पर उतर आते हैं और अधिकतर बाहर की दवा और उपचार लिखकर खरीदने की सिफारिश करते हैं.
आपको बता दें सहादत अस्पताल टोंक जिले का सबसे बड़ा एकमात्र सरकारी अस्पताल है. जब आउटडोर की जानकारी ली गई तो करीब 3000 से ज्यादा मरीजों का उद्योग अस्पताल में रजिस्ट्रेशन हुआ. हैरत की बात तो यह है कि लगातार 8 दिन से जी राजस्थान सहादत अस्पताल की बदहाली की तस्वीरों को उजागर कर रहा है. डॉक्टर बी एल मीणा की लापरवाही और मनमानी से बिगड़ रहे हालातों को सामने रख रहा है लेकिन अब तक चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने और सचिवालय में बैठे बड़े अधिकारियों ने कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई.
यह तो तब है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल भारत अभियान में पूरा देश कदम ताल मिलाकर पिछले 7 सालों से दौड़ रहा है और राजस्थान का एकमात्र टोंक जिले का यह अस्पताल आज भी ऑफलाइन दवा पर्ची के भरोसे मरीजों की मुसीबतें बढ़ा रहा है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर डॉक्टर बी एल मीणा के राजनीतिक रसूख किसके भरोसे बुलंद हो रहे हैं. क्या ऐसे ही टोंक जिले की जनता परेशान रहेगी. क्या विधायक सचिन पायलट के द्वारा किए गए आम जनता से चुनावी वादे सिर्फ जुमले साबित होंगे. क्या अकसर होने वाली जनसुनवाई में हजारों लोगों की भीड़ में पायलट द्वारा किए जाने वाले वादे सिर्फ हवा हवाई होंगे.
ऐसे में अब इंतजार उस दिन का है जब प्रमुख चिकित्सा अधिकारी अपनी लापरवाही की हद पार कर देंगे और किसी बड़े हादसे में जन हानियों का एक बड़ा अंबार खड़ा हो जाएगा? फिलहाल तो प्रमुख चिकित्सा अधिकारी को अस्पताल में नियुक्त 70 डॉक्टरों की फौज में से यह जानकारी नहीं है कि कौन सा डॉक्टर किस समय किस अस्पताल की चेंबर में ड्यूटी कर रहा है.
प्रमुख चिकित्सा अधिकारी को तो यह भी जानकारी नहीं है उनके अस्पताल में कितने कंप्यूटर ऑपरेटर हेल्पर और नर्सिंग स्टाफ कार्यरत है. हालांकि अस्पताल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला के गोपाल ने कार्यवाहक अतिरिक्त जिला कलेक्टर उपखंड अधिकारी भारत भूषण गोयल के नेतृत्व में एक जांच कमेटी गठित की है और इस जांच कमेटी ने अपनी जांच पड़ताल भी शुरू कर दी है लेकिन अब इंतजार है कि यह जांच रिपोर्ट कब सामने आती है और कब मनमाने लापरवाह प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बी एल मीणा के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
Reporter- Purushottam Joshi
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