Jaisalmer: जानकारी के अनुसार क्षेत्र के देगराय ओरण में गुरूवार शाम को वन्यजीव प्रेमी राधेश्याम विश्नोई, सुमेरसिंह सांवता सहित कुछ वन्यजीव प्रेमी वन्यजीवन को देखने के लिए निकले हुए थे. इस दौरान देगराय ओरण में सुमेर सिंह भाटी को मिट्टी के उपर से मटके के मुंह के आकार जैसी एक वस्तु नजर आई. जिसपर उन्होंने नजदीक जाकर हाथों से मिट्टी को हटाकर देखा तो एक छोटे आकार का मटका निकला. मटके को देखकर वहां मौजूद लोग हैरान रह गए. धीरे-धीरे सूचना फैली और प्राचीन मटके को देखने के लिए लोग उमड़ने लगे. वन्यजीव प्रेमी सुमेर सिंह ने बताया कि प्रथम नजर से मटका सैकड़ो वर्ष पुराना लग रहा है. वन्यजीव प्रेमियों ने इसको लेकर पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को सुचित किया. 


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जैसलमेर के इतिहास में रुचि रखने वाले सुमेरसिंह ने बताया कि मटका जो कलश रूप में है, इसके अंदर मिट्टी और राख भरी हुई थी, सम्भवतः यह इसी स्थान पर सदियों पहले जमीन में दफनाया गया था. जो बरसात में मिट्टी के कटाव से बाहर निकल आया और बर्ड वॉचिंग के दौरान नजर आया. गौरतलब है की देगराय ओरण जो साढ़े छह सौ सालों से ओरण रूप में सुरक्षित है. उसमें बरसात के बाद जलप्रवाह मार्गों पर मिट्टी के चित्रित बर्तनों के टुकड़े पहले भी प्राप्त होते रहे हैं, सम्भवतः इस क्षेत्र में ओरण घोषित होने से पूर्व कभी कोई विकसित संस्कृति मौजूद रही होगी. जैसलमेर में इस प्रकार के टूटे मृदभांड और बर्तनों के टुकड़े फतहगढ़ तहसील के कुण्डा और कोहरा गांवों के ओरण व आसपास भी प्राप्त होते रहते हैं.


Report: Shankar Dan