BPSC Prelims Controversy: BPSC प्रीलिम्स को रद्द करने की मांग का लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार किया है. SC ने पिटिशनर से कहा कि वो पहले पटना हाईकोर्ट का रुख करें. इस मसले पर सीधे सुप्रीम कोर्ट आने की जरूरत ही नहीं थी.
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SC's Comment on BPSC Prelims Cancellation Demand: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की मांग पर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया. अदालत ने याचिकाकर्ता को सलाह दी कि वे इस मामले को पहले पटना हाईकोर्ट में उठाएं. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला आर्टिकल 226 के तहत हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है, जिसके तहत हाईकोर्ट इस पर सुनवाई कर उचित आदेश पास करने में समर्थ है. यहां जानिए आखिर क्या है पूरा मामला...
याचिका में क्या थी मांग?
आनंद लीगल ऐड फोरम ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि BPSC प्रीलिम्स परीक्षा में व्यापक पैमाने पर धांधली और पेपर लीक हुआ है. इसके चलते BPSC प्रीलिम्स रद्द करने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज की निगरानी में की जाए.
प्रदर्शनकारी छात्रों पर कार्रवाई का मुद्दा
इसके साथ ही याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि बिहार में परीक्षा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. याचिकाकर्ता ने लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार संबंधित जिले के एसपी और डीएम के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस तरह के मुद्दों पर पहले हाईकोर्ट का रुख करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता हाईकोर्ट में अपनी बात रखें.
याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि पेपर लीक की घटनाएं अब आम हो गई हैं . इतना ही नहीं प्रदर्शन के दौरान गांधी मैदान में पुलिस ने आंदोलनकारी छात्रों पर बर्बर तरीके से लाठीचार्ज भी किया.
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
आज सुप्रीम कोर्ट में यह मामला चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने लगा. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि परीक्षा में पेपर लीक अब रूटीन बन गया है. पूरे देश ने देखा है कि कैसे बिहार में प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है. ऐसे में इसमें सुप्रीम कोर्ट के दखल की जरूरत है.सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि इस पर सीधे सुनवाई से इंकार करते हुए कहा कि ये बेहतर होता कि अगर याचिकाकर्ता हाईकोर्ट जाते. इस मसले पर सीधे सुप्रीम कोर्ट आने की जरूरत नहीं थी. हालांकि याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने दलील दी जिस गांधी मैदान पर लाठीचार्ज हुआ, वो हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के घर के पास ही है. अगर चाहते तो हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संज्ञान ले सकते थे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को नामंजूर करते हुए कहा कि वो हाईकोर्ट में ही याचिका दायर करें. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को स्पष्ट रूप से कहा कि वे पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करें, जहां इस मामले पर उचित सुनवाई होगी.