Dungarpur: राजस्थान सरकार ने डूंगरपुर जिले सहित प्रदेशभर में मिलवाटखोरी पर लगाम लगाने और लोगों को शुद्ध खाद्य पदार्थ मिले इसके लिए प्रदेशभर में एक जनवरी से 31 मार्च 2022 तक बड़े स्तर पर शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाने का निर्णय लिया है. अभियान के तहत दूध और मावे से बनी मिठाइयों के साथ खाने-पीने के सभी खाद्य पदार्थो के सैंपल लेकर जांच किए जाएंगे. वहीं मिलावट की सूचना देने वाले को 51 हजार रुपये का ईनाम की भी घोषणा की गई है.


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राज्य सरकार के निर्देश पर डूंगरपुर जिला प्रशासन ने इस अभियान को सफल बनाने की तैयारिया शुरू कर दी है . जिला कलेक्टर सुरेश कुमार ओला ने इसके लिए प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की अलग-अलग टीमें बनाते हुए 1 जनवरी से 31 मार्च यानि पूरे तीन महीने तक अभियान चलाने के निर्देश दिए है. अभियान के दौरान पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीमें मिलकर दूध, मावा, पनीर और अन्य दूध से बनी चीजों की जांच होगी. वहीं आटा, बेसन, तेल, घी, सूखे मेवे और मसालों के सैंपल लेकर जांच के लिए लेबोरेटरी भेजे जाएंगे. ऐसे अभियान को सफल बनाने के लिए कहां मिलावट चल रही है. इसकी जानकारी मिलना थोड़ा मुश्किल होता है. लिहाजा प्रशासन ने खबरी को 51 हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा कर बड़ा दांव खेला है. प्रशासन ने ये भी भरोसा दिया है कि खबरी का नाम गुप्त रखा जाएंगा. जांच के दौरान मिलावटी खाने की सामग्री होने पर उसे मौके पर ही नष्ट करवाया जाएगा. कलेक्टर ने सभी विभागों को आपसी सामंजस्य के साथ मिलकर काम करने के निर्देश दिए है.


प्रशान ने जिस-जिला स्तरीय प्रबंधन समिति का गठन किया है उसमें 
1. जिला कलेक्टर- अध्यक्ष
2. एसपी- सदस्य
3. सीएमएचओ- सदस्य
4. डीएसओ- सदस्य
5. प्रबंध निदेशक डेयरी- सदस्य
6. सहायक विधि परामर्शी- सदस्य के तौर पर होंगे


वहीं विशेष जांच दल में प्रशासन ने 
1. एसडीएम/बीडीओ/तहसीलदार- टीम लीडर
2. डीएसपी/सीआई- सदस्य
3. विधिक माप विज्ञान अधिकारी- सदस्य
4. फ़ूड इंस्पेक्टर- सदस्य
5. डेयरी प्रतिनिधि- सदस्य के तौर पर शामिल किया है 


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डूंगरपुर के जिला कलेक्टर ने  सुरेश कुमार ओला ने बताया कि हमारा पूरा ध्यान रहेगा की हम ब्लाकवार अलग-अलग जगह से नए सेम्पल ले और उनकी जांच करवाएं. साथ ही पुराने जो प्रकरण पेंडिंग है उन्हे त्वरित गति से निस्तारित करने पर उनका फोकस रहेगा. इसमें युद्ध स्तर पर हम अभियान चलाकर ज्यादा से ज्यादा सेम्पल लेकर कार्रवाई करेंगे ताकि आम जनता को जो भी खाने-पीने की चीजे मिल रही है वह गुणवत्ता पूर्वक मिले और यही राज्य सरकार की मंशा भी है. इसमें मिलावटखोरो की सुचना दिए जाने पर 51 हजार का इंसेंटिव भी मिलता है. कलेक्टर सुरेश कुमार ने कहा कि मुखबिर की खबर पर छापेमारी के बाद अगर सेंपल फॉल्टी पाए जाते है और रीचेक के बाद भी फाल्टी पाए जाते है तो मुखबिर को नियमानुसार 51 हजार का इंसेंटिव दिया जाएगा. उन्होने बताया कि जिले में 12 महीनों में विभाग ने 96 सैंपल लिए जिसमें 39 सेंपल फेल पाए गए जिसमें से 8 मामले कोर्ट में दर्ज किए गए है.


वहीं सीएमएचओ डॉ राजेश शर्मा ने बताया कि एक साल में दूध, दही, घी, मिठाई, तेल और मसालों के सैंपल लिए गए जिनमें खाने-पीने की इन चीजों में मिलावटी, मिस ब्रांडेड और खाने के लिए अनसेफ चीजे मिली है. सीएमएचओ ने बताया कि जांच रिपोर्ट 39 में से 25 सैंपल अवमानक मिले हैं. जबकि 10 सैंपल मिस ब्रांड पाए गए है. वहीं 4 सैंपल खाने के लिए पूरी तरह से अनसेफ पाए गए है इन में 8 मामलों कोर्ट में चालान पेश किया गया और 4 मामलो में 6 लाख पचास हजार का जुर्माना वसूला गया है.


Reporter: Akhilesh Sharma