Corona हुआ और सांसों की डोर टूट गई, अस्थि कलश तक नहीं ले गए अपने
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1057785

Corona हुआ और सांसों की डोर टूट गई, अस्थि कलश तक नहीं ले गए अपने

दुनिया में बहुत बड़ी त्रासदी बन चुके कोरोना महामारी ने जीते जी लोगों को एक दूसरे से दूर तो कर ही दिया मरने के बाद भी इसका भय अपनों को पास नहीं आने दे रहा है.

आज भी अपनों की बाट जोह रहे अस्थिकलश.

Dungarpur: दुनिया में बहुत बड़ी त्रासदी बन चुके कोरोना महामारी ने जीते जी लोगों को एक दूसरे से दूर तो कर ही दिया मरने के बाद भी इसका भय अपनों को पास नहीं आने दे रहा है. कोरोना (Corona) काल का एक स्याह अध्याय ये भी है कि इस बीमारी ने पहले जान ले ली. सांसों की डोर टूटी तब न कोई अपना था और अंतिम संस्कार में अपनों ने अर्थी को कंधा नहीं दिया. अब चिता में जल जाने के बाद अवशेष अस्थिकलश में बंद पड़े अपनों की बाट जोह रहे हैं. 

डूंगरपुर जिले में कोरोना की दूसरी लहर में सैकड़ों लोगों को जान गई. कई लोगों के शवों को परिजन लेने तक नहीं आए और उन शवो के अंतिम संस्कार की विधि डूंगरपुर नगरपरिषद ने सुरपुर मुक्तिधाम (Muktidham) में करवाई. उन्हीं में से कुछ लोगों की अस्थियां आज 7 माह से मुक्तिधाम में सहेज के रखी हुई हैं, लेकिन उनके परिजन आज तक अस्थियां (bones) लेने नहीं आए. ये अस्थियां आज भी मुक्ति का इन्तजार कर रही हैं. 

यह भी पढ़ें: Viral Video में जशोदा के अवैध वसूली की हुई पुष्टी, PMO ने CMHO को लिखा पत्र

कोविड की दूसरी लहर का प्रकोप आज भी लोगों के जहन में है. अप्रैल माह में डूंगरपुर जिला कोविड अस्पताल में औसतन हर रोज दर्जन भर मरीजों ने दम तोड़ा था. इनमें से अधिकांश का अंतिम संस्कार तो परिजनों ने कोविड प्रोटोकोल के दायरे में किया. लेकिन कई लोग ऐसे भी थे जिनका अंतिम संस्कार नगरपरिषद की टीम ने किया था. वहीं नगरपरिषद की टीम ने किये गए दाह संस्कारों के बाद मृतकों की अस्थियों को कलश में सहज का रखा था. नगरपरिषद ने उक्त अस्थिकलशों को हरिद्वार ले जाकर विधि पूजन गंगा में विसर्जित करने की घोषणा की थी, लेकिन बाद भी कई आत्माए मुक्ति की प्रतीक्षा में हैं. 

यह भी पढ़ें: कलेक्टर ने ली अधिकारियों की साप्ताहिक बैठक, कहा- कामचोरी नहीं काम चाहिए

 

30 में से 5 अस्थि कलश आज भी पड़े हैं
नगरपरिषद ने अंतिम संस्कार के बाद 30 मृतकों की अस्थियां कलश में सहेजी थीं, इसमें से अब तक 25 मृतकों के परिजन अस्थि कलश ले गए हैं, लेकिन 5 अस्थि कलश आज भी मुक्तिधाम में पड़े हैं. इसमें वस्सी, बिहार, सरफेण गुजरात व थाणा बिछीवाडा गांव के व्यक्तियों की हैं. इधर डूंगरपुर नगरपरिषद के सभापति अमृत कलासुआ ने नगरपरिषद के माध्यम से हरिद्वार भेजकर विधिवत गंगा में विसर्जित कराने की घोषणा की थी. उक्त घोषणा के 7 माह बीत चुके हैं, लेकिन घोषणा पर अभी तक अमल नहीं हुआ है. वहीं इस मामले में जब डूंगरपुर नगरपरिषद के आयुक्त नरपतसिंह राजपुरोहित से बात की गई तो उन्होंने कहा की अब तक प्रतीक्षा में थे की स्वजन खुद अस्थियां प्राप्त कर लेंगे लेकिन अभी तक कोई नहीं आया है. ऐसे में मकर सक्रांति के बाद बकाया अस्थि कलशों को हरिद्वार भेज कर गंगा में विसर्जित कराया जाएगा.

Reporter: Akhilesh Sharma 

Trending news