Ramdas Athawale: राज ठाकरे के रास्ते में मोदी के मंत्री ने लगाई `ब्रेक`, महाराष्ट्र का थ्रिलर अभी थमा नहीं
Raj Thackeray: केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने नासिक में कहा कि मनसे प्रमुख राज ठाकरे प्रासंगिकता खो चुके हैं और सत्तारूढ़ महायुति को उनकी जरूरत नहीं है.
Raj Thackeray Vs Uddhav Thackeray: राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) महाराष्ट्र विधानसभा में खाता नहीं खोल सकी. मनसे प्रमुख के बेटे अमित ठाकरे माहिम सीट से चुनाव हार गए. हार के बाद राज ठाकरे की सियासी प्रासंगिकता पर उठ रहे सवालों के बीच महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने ये संकेत दिया कि सत्तारूढ़ महायुति (बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी) में मनसे को शामिल किया जा सकता है. सूबे के सियासी गलियारे में ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि फडणवीस मंत्रिमंडल में मनसे को भी प्रतिनिधित्व मिल सकता है लेकिन लगता है कि सीएम की ये बात केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले को पसंद नहीं आई.
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने नासिक में कहा कि मनसे प्रमुख राज ठाकरे प्रासंगिकता खो चुके हैं और सत्तारूढ़ महायुति को उनकी जरूरत नहीं है. रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के प्रमुख आठवले ने कहा, “राज ठाकरे को लगता था कि उनके बिना सत्ता नहीं मिल सकती. उनके सपने चकनाचूर हो गए हैं. मेरे गठबंधन में होने के कारण राज ठाकरे के लिए कोई जगह नहीं है. वह अपनी रणनीति और पार्टी के झंडे का रंग बदलते रहते हैं. यह उनकी घटती प्रासंगिकता को दर्शाता है.” आठवले की पार्टी एक दशक से ज्यादा समय से भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा है. उन्होंने ये भी विश्वास जताया कि उनकी पार्टी को देवेंद्र फडणवीस सरकार में प्रतिनिधित्व मिलेगा. कुल मिलाकर आठवले के बयान से ऐसा लगता है कि वो महायुति में राज ठाकरे को शामिल करने के पक्ष में नहीं हैं.
बीएमसी की लड़ाई
हालांकि सीएम फडणवीस के राज ठाकरे से अच्छे रिश्ते हैं और वो इसका लाभ लेना चाहते हैं. दरअसल बीजेपी ने उद्धव ठाकरे को कमजोर तो कर दिया है लेकिन जब तक बीएमसी का किला उनके पास है तब तक उनको पूरी तरह परास्त नहीं माना जा सकता. करीब 25 सालों से उद्धव की शिवसेना का कब्जा बृहन्मुबई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन (बीएमसी) पर है. दो महीने के बाद वहां चुनाव होने वाले हैं. वहां पर उद्धव को हराने के लिए बीजेपी को राज ठाकरे की जरूरत है. दरअसल भले ही महाराष्ट्र में उद्धव को करारी हार मिली हो लेकिन उनके जो 20 विधायक जीते हैं उनमें से 10 मुंबई की सीटों से ही जीते हैं. यानी मुंबई में आज भी उद्धव की शिवसेना का दबदबा बरकरार है. बीजेपी इसकी काट राज ठाकरे को मान रही है. बीजेपी को लगता है कि यदि बीएमसी चुनाव में उसको मनसे का सहारा मिल जाए तो उद्धव को हराया जा सकता है.
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वैसे भी लोकसभा चुनावों में मनसे के बिना शर्त समर्थन से बीजेपी को बड़ा फायदा हुआ था, और अब यह समीकरण नगर निगम चुनाव में दोहराए जाने की संभावना है. इसी कड़ी में देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में संकेत दिया था कि बीजेपी, मनसे को सरकार में शामिल करने और नगर निगम चुनाव में साथ लाने के लिए तैयार है. फडणवीस ने कहा कि राज ठाकरे के उम्मीदवारों को विधानसभा चुनाव में भले जीत न मिली हो, लेकिन उन्हें अच्छे वोट मिले. हमारे और उनके विचार मेल खाते हैं. मनसे नेताओं ने इस प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा कि पार्टी का रुख हमेशा एकला चलो का रहा है, लेकिन गठबंधन पर अंतिम निर्णय राज ठाकरे करेंगे.
कुल मिलाकर बीजेपी यदि बीएमसी चुनावों में मनसे के साथ हाथ मिलाएगी तो उसकी बानगी उससे पहले फडणवीस सरकार के मंत्रिमंडल में दिखेगी. इस बात की संभावना है कि मनसे को कैबिनेट में जगह मिल जाए लेकिन फिलहाल रामदास आठवले इसका विरोध कर रहे हैं. लेकिन ये भी हो सकता है कि वो अपनी पार्टी के लिए भी प्रतिनिधित्व चाह रहे हों इसलिए ये दबाव की रणनीति बनाई जा रही है. चंद दिनों में ये पिक्चर क्लियर हो जाएगी.