Azam Khan MLA Case: समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान (Azam Khan) यूपी असेंबली का सदस्य बने रहने की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गुरुवार को दोबारा सुनवाई करते हुए रामपुर की सेशन कोर्ट ने विधायकी रद्द किए जाने के खिलाफ आजम खान की अर्जी खारिज कर दी. कोर्ट के इस फैसले के साथ ही अब रामपुर सदर सीट से दोबारा एमएलए के चुनाव का रास्ता साफ हो गया है. माना जा रहा है कि चुनाव आयोग अब 11 नवंबर को इस सीट पर उपचुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है.


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सेशन कोर्ट में दोनों पक्षों ने रखी अपनी बात


रामपुर सेशन कोर्ट में गुरुवार को हुई सुनाव में आजम खान (Azam Khan) के वकीलों ने अपना पक्ष रखा. वकीलों ने  2019 में सीएम योगी और पीएम मोदी पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में बतौर सबूत पेश की गई कथित सीडी पर सवाल उठाए और सजा पर रोक लगाने की मांग की. जबकि अभियोजन पक्ष ने कहा कि आजम खान ने कभी यह नहीं कहा है कि यह उनका भाषण नहीं था, उस वक्त वह सांसद थे और भाषण देते समय उन्हें जिम्मेदार होना चाहिए था. दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद जज ने फैसले सुनाने के लिए शाम 4 बजे का समय तय कर दिया. इसके बाद कोर्ट ने दोबारा सुनवाई करते हुए आरोप सही मानते हुए आजम खान की अर्जी खारिज कर दी.


सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई थी सुनवाई


इससे पहले आजम खान (Azam Khan) की विधायकी रद्द किए जाने के खिलाफ लगाई गई याचिका पर 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी. जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ ने कहा था कि आजम खान को उचित मौका दिया जाना चाहिए था. अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘उन्हें अयोग्य ठहराने की क्या जल्दी थी? आपको कम से कम उन्हें कुछ मोहलत देनी चाहिए थी.' सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में रामपुर सेशन कोर्ट को आजम खान की अर्जी पर गुरुवार को ही सुनवाई कर विधायकी पर फैसला सुनाने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद गुरुवार को रामपुर सेशन कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई हुई और अदालत ने सपा नेता की याचिका खारिज कर दी. 


पीएम-सीएम पर भड़काऊ भाषण का आरोप


बताते दें कि आजम खान (Azam Khan) पर सांसद रहते हुए वर्ष 2019 में पीएम मोदी और सीएम योगी के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप है. इस मामले में उनके खिलाफ रामपुर में मुकदमा दर्ज किया गया था. जिस पर सुनवाई करते हुए रामपुर की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने 27 अक्टूबर को उन्हें दोषी करार देते हुए 3 साल की सजा सुनाई थी. अदालत के इस फैसले के बाद यूपी असेंबली से उनकी विधायक की सदस्यता खत्म हो गई थी. हालांकि, फैसले के तुरंत बाद अदालत ने उन्हें जमानत देते हुए ऊपरी अदालत में अपील दाखिल करने का वक्त भी दिया था.


(इनपुट भाषा)


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