Real Reason of air pollution on Diwali: दिल्ली (Delhi) में दिवाली (Diwali) के आसपास एयर क्वालिटी बेहद खतरनाक स्तर पर रहती है. ये वो वक्त होता है जब उत्तर भारत में दिल्ली के आस-पास पराली भी जल रही होती है. ऐसे में ये तय करना मुश्किल हो जाता है कि एयर क्वालिटी (Air Pollution) खराब होने के पीछे कौन जिम्मेदार है. ऐसे में इस समस्या का समाधान निकालने के लिए आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) ने एक स्टडी की है. ये स्टडी रिपोर्ट बुधवार को जारी की गई.  


IIT के रिसर्चर्स ने की स्टडी


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दिवाली के आसपास बढ़ने वाले वायु प्रदूषण (Air Pollution) की असल वजह का पता लगाने के लिए आईआईटी के रिसर्चरों ने यह स्टडी की. ये स्टडी दिवाली (Diwali) से पहले, दिवाली के दिन और दिवाली के बाद हवा में पीएम 2.5 का स्तर जानने के लिए की गई. इस रिसर्च को journal ‘Atmospheric Pollution Research’ में प्रकाशित किया गया है.  


12 घंटे में ही खत्म हो गया पटाखों का असर


बताते चलें कि मौजूद धूल, धुएं और दूसरे कणों के मिश्रण से मिलकर ही पार्टिकुलेट मैटर यानी PM 2.5 बनता है. रिसर्चर्स ने पाया कि दिवाली के दौरान हवा में मौजूद पीएम 2.5 में मेटल की मात्रा 1100 प्रतिशत बढ़ गई. इसमें पटाखों का योगदान 95% था. स्टडी करने वाले आईआईटी (IIT Delhi) के चिराग मनचंदा के मुताबिक पटाखों का ये असर 12 घंटे में ही खत्म होता पाया गया.  


बायोमास की मात्रा बढ़ने से होता है प्रदूषण


आईआईटी में डिपार्टमेंट ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर विक्रम सिंह के मुताबिक सर्दियों में पराली के जलने और लोगों के अलाव जलाने से बायोमास की मात्रा बढ़ती है और प्रदूषण (Air Pollution) की वजह बन जाती है. जबकि पटाखों के जलने की एक्टिविटी एक दिन की ही होती है.  


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प्रदूषण की मात्रा पर लगाम लगाने में मिलेगी मदद


स्टडी के प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर प्रोफेसर मयंक कुमार का कहना है कि इस स्टडी के नतीजों से दिल्ली (Delhi) में दिवाली (Diwali) के दौरान प्रदूषण (Air Pollution) को समझना और उस पर लगाम लगाने के तरीकों पर काम करना आसान हो सकेगा.  


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