इस साल पड़ेगी रिकॉर्ड तोड़ ठंड, इतना गिर जाएगा पारा; ये है वजह
Knowledge: इस साल देश में कड़ाके की ठंड पड़ने वाली है. इस साल भारत के उत्तरी क्षेत्रों में तापमान 3 डिग्री सेल्सियस (37 फारेनहाइट) तक गिरने की उम्मीद है. इसकी वजह ला नीना इफेक्ट है. जानिए क्या होता है ये और इससे ठंड कैसे बढ़ जाती है.
नई दिल्ली. भारत में मानसून चला गया. लेकिन इसके साथ ही देश के कई इलाकों में सर्दी बढ़ने लगी है. मौसम विभाग का कहना है कि इस साल पिछले सालों की तुलना में ज्यादा ठंड पड़ेगी. इसके अलावा वायुमंडलीय G2 में मौसम विज्ञान के निदेशक टॉड क्रॉफर्ड के अनुसार, नवंबर के अंत से लेकर जनवरी के मध्य तक भारत में कुछ उत्तरी क्षेत्रों में तापमान 3 डिग्री सेल्सियस (37 फारेनहाइट) तक गिरने की उम्मीद है. इससे इन दो महीने के साथ ही फरवरी के दौरान ठंड बढ़ जाएगी. इस ठंड की वजह ला नीना इफेक्ट है. जानिए क्या होता है ये इफेक्ट.
क्या होता है ला नीना
स्पेनिश भाषा में ला नीना का अर्थ होता है छोटी लड़की. इसे कभी-कभी अल विएखो, एंटी-अल नीनो या "एक शीत घटना" भी कहा जाता है. ये घटनाएं भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर पैदा होती है. इसकी उत्पत्ति के अलग-अलग कारण माने जाते हैं लेकिन सबसे प्रचलित कारण ये तब पैदा होता है, जब ट्रेड विंड, पूर्व से बहने वाली हवा काफी तेज गति से बहती हैं. इससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है. इसका सीधा असर दुनियाभर के तापमान पर होता है और तापमान औसत से ज्यादा ठंडा हो जाता है.
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इसी वजह से सितंबर-अक्टूबर में हुई बारिश
अमेरिकन जियोसाइंस इंस्टिट्यूट के अनुसार अल नीनो और ला नीना शब्द का संदर्भ प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से है, जिसका दुनिया भर में मौसम पर प्रभाव पड़ता है. अल नीनो की वजह से तापमान गर्म होता है और ला नीना के कारण ठंडा. दोनों आमतौर पर 9-12 महीने तक रहते हैं, लेकिन असाधारण मामलों में कई वर्षों तक रह सकते हैं. बता दें ला नीना के एक्टिव होने से ही सितंबर और अक्टूबर में देश के कई राज्यों को भारी बारिश और बाढ़ का सामना करना पड़ा है.
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भारतीय मौसम विभाग ने भी चेताया
भारतीय मौसम विभाग ने भी इस साल कड़ाके की सर्दी पड़ने की संभावना जताई है और इसके लिए ला नीना को जिम्मेदार बताया है. विभाग ने पहले ही कहा था कि भारत में सामान्य से ज्यादा मौसमी बारिश और कड़ाके की सर्दी पड़ सकती है. विभाग ने कहा कि अगस्त और सितंबर में सामान्य से ज्यादा बारिश हो सकती है और तभी ला नीना की स्थिति बनेगी. बता दें कि पिछली बार ला नीना की स्थिति अगस्त-सितंबर 2020 से अप्रैल 2021 तक बनी थी और सामान्य से ज्यादा बारिश हुई थी और सर्दियां भी जल्दी शुरू हो गई थीं, साथ ही साथ कड़ाके की सर्दी भी पड़ी थी. मौसम विभाग के अनुसार ला नीना की स्थिति इस साल सितंबर से नवंबर के बीच रहेगी, इससे इस साल की सर्दियों के दौरान ठिठुरने वाले ठंड पड़ेगी.
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