China की ‘चालबाजी’ अब नहीं आएगी काम: India ने Border पर तैनात किए 50 हजार अतिरिक्त सैनिक, Fighter Jets
रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि पहले इन इलाकों में भारतीय सेना (Indian Army) की उपस्थिति चीन (China) को रोकने के इरादे से थी, लेकिन अब भारतीय कमांडरों के पास जरूरत पड़ने पर आक्रमण करने और चीनी क्षेत्र पर कब्जा करने का भी विकल्प होगा.
नई दिल्ली: चीन (China) की चालबाजी को ध्यान में रखते हुए भारत (India) ने सीमा से सटे इलाकों में करीब 50 हजार सैनिकों (Indian Troops) की तैनाती की है. इससे पता चलता है कि गलवान घाटी हिंसा (Galwan Valley Clash) के बाद दोनों देशों में उत्पन्न हुआ तनाव अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. भारत के इस बेहद सख्त रुख से चीन के लिए अब अपनी चालबाजी को अंजाम देना आसान नहीं होगा.
पिछले साल से 40% अधिक तैनाती
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत (India) ने चीनी सीमा से सटे इलाकों में करीब 50 हजार सैनिकों की तैनाती की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) ने हाल के महीनों में चीन से लगी अपनी सीमा के तीन अलग-अलग इलाकों में लड़ाकू विमानों (Fighter Jets) और अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की है. इस वक्त चीनी सीमा पर करीब 2 लाख से ज्यादा सैनिकों की तैनाती है, जो पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत ज्यादा है.
अब Attack का विकल्प भी होगा
रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि पहले इन इलाकों में भारतीय सेना की उपस्थिति चीन को रोकने के इरादे से थी, लेकिन अब भारतीय कमांडरों के पास जरूरत पड़ने पर आक्रमण करने और चीनी क्षेत्र पर कब्जा करने का भी विकल्प होगा. इसे सैन्य रणनीति की भाषा में 'ऑफेंसिव डिफेंस' (Offensive Defense) कहा जाता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने सैनिकों को कश्मीर से चीन सीमा पर विशेष हेलीकॉप्टरों के जरिये पहुंचाया है. साथ ही M777 howitzer जैसी तोपों की तैनाती भी की गई है.
China को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं
हालांकि, अब तक यह बात स्पष्ट नहीं है कि चीन ने अपनी तरफ से कितने सैनिकों की तैनाती कर रखी है, लेकिन चीन सीमा पर लगातार आक्रामक भूमिका प्रदर्शित कर रहा है. सीमा पर उसकी गतिविधियों से जुड़ी कई रिपोर्ट सामने आ चुकी हैं. वैसे, भारत और चीन दोनों ने इस रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की है. लिहाजा उनकी खामोशी के आधार पर यह माना जा रहा है कि रिपोर्ट में जिन बातों का जिक्र किया गया है, वो सही हैं. गौरतलब है कि बीते साल गलवान हिंसा के बाद से सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन में कई राउंड की बातचीत हो चुकी है.