Neerja Bhanot Birthday: उनके अंदर बचपन से कुछ कर गुजरने की जिद थी, उन्हें झुकना पसंद नहीं था, वह हर काम में अपना शत प्रतिशत देने में यकीन रखती थीं. अपनी इस खूबियों को उन्होंने तब भी नहीं छोड़ा जब वह 380 लोगों के साथ जिंदगी और मौत से लड़ रही थीं. उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने सिद्धांतों को आगे रखा और शहीद हो गईं. लेकिन अपनी जान देकर उन्होंने 380 लोगों की जान बचा दी और अपना नाम बहादुरी की किताब में सुनहरे अक्षरों में दर्ज करा दिया. हम बात कर रहे हैं एयरहोस्टेस नीरजा भनोट (Air Hostess Neeraja Bhanot) की जिनकी बहादुरी को आज भी लोग सलाम करते हैं. वह भारत की पहली ऐसी महिला हैं, जिन्‍हें अशोक चक्र ( First Women Ashok Chakra) से नवाजा गया. हवाई जहाज में उनकी बहादुरी को देखकर पाकिस्‍तान और अमेरिका ने भी उन्‍हें सम्‍मान दिया. आज उनकी कहानी महिलाओं को ही नहीं बल्कि पुरुषों को भी प्रेरित करती है. जानिए हीरोइन ऑफ हाईजैक के नाम से मशहूर उस नीरजा की कहानी.


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चंडीगढ़ में बीता था बचपन


नीरजा भनोट का जन्म 7 सितंबर 1963 को एक पंजाबी परिवार में हुआ था. उनका बचपन चंडीगढ़ में बीता और अपनी पढ़ाई चंडीगढ़ के सैक्रेड हार्ट सीनियर सेकंडरी स्कूल से पूरी की. लेकिन बाद में इनका पूरा परिवार मुंबई आकर रहने लगा था. नीरजा 19 साल की थीं जब यूएई में रहने वाले एक इंजिनियर से उनकी शादी हुई. उसी दौरान उन पर टॉर्चर का ऐसा दौर शुरू हुआ कि उन्‍हें कुछ समय बाद अपने पति को छोड़कर मुंबई लौटना पड़ा. इसके बाद नीरजा ने फ्लाइट अटेंडेंट का काम किया. वे पैन अमेरिकन एयरवेज के लिए काम करने लगीं. 5 सितंबर, 1986 को वह फ्लाइट 73 (मुंबई से न्‍यूयॉर्क) में थीं. हवाई जहाज कराची में अचानक रुका. दरअसल, कराची एयरपोर्ट पर फ्लाइट को 4 आतंकियों ने अगवा कर लिया था. इस एयरक्राफ्ट में 380 यात्री और नीरजा सहित 13 क्रू मेंबर्स थे. आतंकियों से वह बहादुरी से लड़ीं और उसी समय आतंकवादियों ने फायरिंग कर दी. जिसमें नीरजा शहीद हो गईं. कुछ साल पहले उनके किरदार पर मूवी भी बन चुकी है. नीरजा को मॉडलिंग करने का शौक था. शादी के बाद अपने पति को छोड़ने के बाद उन्‍होंने मुंबई में मॉडलिंग के लिए काम करना शुरू किया था, लेकिन उन्‍होने बाद में एयरलाइंस में अपना करियर बनाया और एयर होस्टेस की नौकरी की. 


आतंकवादियों को दिया चकमा 


जब कराची में पैन एम 73 विमान को आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया. अचानक 4 आतंकवादियों ने पूरे विमान यात्रियों को गन पॉइंट पर अपने कब्‍जे में ले लिया था. अपनी सूझबूझ से नीरजा ने रात के अंधेरे में हवाई जहाज के दरवाजे खोल दिए इस दौरान आतंकवादियों ने जमकर फायरिंग कर दी. हालांकि, सभी यात्रियों की जान बच गई, लेकिन नीरजा शहीद हो गईं. उसी समय नीरजा की नजर तीन अमेरिकी बच्चों पर पड़ी. उन्‍होंने बच्चों को सीने से लगाया और इमरजेंसी गेट की आरे गई. उसी समय सामने से एक आतंकी आ गया. आतंकी के बंदूक के निशाने पर था छोटा सा मासूम बच्‍चा. नीरजा ने अपनी बहादुरी का परिचय दिया. उस समय हाईजैकर की गोली से उनका जिस्म छलनी हो गया. लेकिन बच्चे बाल-बाल बच गए.   


पाकिस्‍तान-अमेरिका ने दिया सम्‍मान 


आपको बता दें कि नीरजा भारत की पहली ऐसी महिला हैं, जिन्‍हें अशोक चक्र से सम्‍मानित किया गया. इसके अलावा नीरजा की बहादुरी को देखते हुए पाकिस्‍तान ने भी तमगा-ए-इंसानियत का खिताब दिया. वहीं, अमेरिका ने नीरजा के नाम पर हीरोइन ऑफ हाईजैक और 2005 में जस्टिस फॉर क्राइम अवॉर्ड का खिताब भी दिया. 



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