Russia Buys Bananas From India: इक्‍वाडोर की 'बेवफाई' से रूस के मुंह का जायका बिगड़ा हुआ है. स्वाद बदलने के लिए रूस ने भारत की मदद मांगी है. वह भारत से पपीते और केले खरीद रहा है. इस बदलाव की वजह इकॉनमिकल नहीं, जियोपॉलिटिकल है. केलों के लिए रूस एक तरह से इक्‍वाडोर पर निर्भर था. लेकिन पिछले दिनों इक्‍वाडोर ने रूस को ठेंगा दिखाते हुए अमेरिका से डील कर ली. हाई-टेक हथियार पाने के लिए उसने रूसी मिलिट्री से मिला साजो-सामान अमेरिका को भेज दिया. मास्को को इक्वाडोर की यह हरकत बिल्कुल पसंद नहीं आई. अब केले और बाकी फल कहां से मंगाए जाएं? राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन को 'दोस्त' भारत की याद आई. टाइम्‍स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी में भारत से केलों की पहली खेप रूस पहुंची. दूसरा कंसाइनमेंट फरवरी के आखिर तक पहुंचने वाला है. भारत ने रूस को सिर्फ केले ही नहीं, आम, अनानास, पपीता और अमरूद जैसे और फल भी बेचने में दिलचस्पी दिखाई है.


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रूस में कृषि उत्पादन की निगरानी करने वाले Rosselkhoznadzor ने कहा कि 'रूसी मार्केट में भारतीय केलों का निर्यात बढ़ेगा.' Rosselkhoznadzor ने इक्वाडोर की पांच कंपनियों से केले मंगाने बंद कर दिए थे क्योंकि उनमें कीड़े पाए गए थे. हालांकि रूसी दावे को खारिज करते हुए इक्‍वाडोर की फूड सेफ्टी अथॉरिटी ने कहा था कि निर्यात के बेहद छोटे हिस्से में कीड़े मिले थे और उससे ज्यादा बड़ा खतरा नहीं था.


इक्‍वाडोर से क्‍यों खफा हुआ रूस?


इक्‍वाडोर की जगह भारत से केलों का आयात करने का फैसला रूस की आजमाई हुई रणनीति का हिस्सा है. रूस का जिन देशों से पंगा होता है, वहां से आयात कम कर दिया जाता है. रूस के पास इक्‍वाडोर से नाराजगी की जायज वजह है. इक्‍वाडोर, अमेरिका को रूसी मिलिट्री के हार्डवेयर भेजने को राजी हो गया था. रूस इसे यूक्रेन के साथ जारी जंग में अपने खिलाफ उठे कदम के रूप में देखता है. 2022 के विवाद से पहले इक्‍वाडोर से सबसे ज्यादा केले रूस ही मंगाता था. इक्‍वाडोर के केला निर्यात का करीब एक-चौथाई रूस को जाता था.


पश्चिमी देशों के पिछलग्‍गुओं से दूरी बना रहा रूस


रूस के इस दांव को उसके लॉन्‍ग-टर्म प्‍लान के हिस्से की तरह भी देखा जा रहा है. यूक्रेन में कार्रवाई के चलते तमाम पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा रखे हैं. ऐसे में रूस अपनी व्यापारिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आर्थिक साझेदारियों को व्यापक रूप दे रहा है. प्रतिबंधों के असर को कम करने के लिए रूस ने गैर-पश्चिमी देशों का रुख किया. 2022 के बाद से भारत और रूस के बीच व्यापारिक रिश्‍ते और मजबूत हुए हैं. 2023 में रूस तेल के सबसे बड़े खरीदारों में भारत और चीन शामिल रहे.