भारत को मिला `ब्रह्मास्त्र`, S-400 ने बढ़ाई चीन और पाकिस्तान की चिंता
भारत को एस-400 की कुल पांच रेजिमेंट मिलने वाली हैं, जिनमें कुल 5 मोबाइल कमांड सेंटर (Mobile Command Center), 10 रडार और 40 लॉन्चर (Launcher) होंगे. एक लॉन्चर से अगर एक बार में चार मिसाइल भी दागी जाती हैं तो भारत आने वाले कुछ वर्षों में ऐसी 160 मिसाइल एक साथ दागने में सक्षम हो जाएगा.
पॉडकास्ट-
अमेरिका क्यों नहीं चाहता एस-400 मिले?
इस खबर का दूसरा पहलू है भारत पर अमेरिका के प्रतिबंधों का खतरा. अमेरिका शुरुआत से ही नहीं चाहता था कि भारत कभी रूस से ये मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदे लेकिन सीमा सुरक्षा और चीन से गतिरोध को देखते हुए भारत ने अमेरिका की धमकियों को नजरअन्दाज कर दिया. अमेरिका में वर्ष 2017 में ये कानून आया था कि अगर कोई देश रूस के साथ हथियारों का सौदा करता है, तो उस देश को प्रतिबंधित कर दिया जाएगा. इस कानून को वहां 'प्रतिबंध अधिनियम के माध्यम से अमेरिका के विरोधियों का मुकाबला' कहते हैं. अमेरिका ने ये कानून इसलिए बनाया था ताकि वो हथियारों के निर्यात में रूस को और कमजोर कर सके. अभी पूरी दुनिया में हथियारों का सबसे ज्यादा 37 प्रतिशत निर्यात अमेरिका करता है और फिर नम्बर आता है रूस का, जिसकी हथियारों को बेचने में हिस्सेदारी 20 प्रतिशत की है.
क्या भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है US?
वर्ष 2018 में जब चीन ने रूस से यही एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा था तो अमेरिका ने चीन पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसी तरह जब टर्की ने भी रूस से यही एस-400 मिसाइल खरीदी थीं तो अमेरिका ने उस पर भी कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे. जैसे अमेरिका ने टर्की का निर्यात लाइसेंस रद्द करके उसे काली सूची में डाल दिया था और अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में आने वाली टर्की की परिसम्पत्तियों को भी फ्रीज कर दिया था. इस कार्रवाई के लिए अमेरिका ने पूरा एक साल लिया था. कहा जा रहा है कि भारत के मामले में भी कुछ समय बाद अमेरिका इस तरह का कदम उठा सकता है. हालांकि भारत के मामले में अपवाद की स्थिति भी बन सकती है. अमेरिका में जब डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति थे, तब उन्होंने संसद में एक कानून पास कराया था. इस कानून के तहत अमेरिका ने उन देशों को प्रतिबंध लगाने वाले कानून से छूट दी थी, जिनका रूस से रक्षा संबंध बहुत पुराना है और भारत के संदर्भ में ये कानून पूरी तरह फिट बैठता है.
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अमेरिका इसलिए नहीं करेगा गलती
1960 के दशक से ही रूस भारत का सबसे बड़ा डिफेंस पार्टनर रहा है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 से 2016 के बीच भारत के कुल रक्षा आयात का 68 प्रतिशत रूस के साथ ही हुआ था. यानी इस आधार पर भारत को प्रतिबंधों से छूट मिल सकती है. दूसरी बात, चीन से गतिरोध के बाद एशिया में अमेरिका का सबसे भरोसेमंद साथी भारत ही है. इसलिए भारत पर प्रतिबंध लगा कर अमेरिका खुद को इस क्षेत्र में कमजोर नहीं करना चाहेगा. अमेरिका ऐसी गलती इसलिए भी नहीं करेगा क्योंकि रूस के राष्ट्रपति पुतिन अगले महीने 6 दिसम्बर को ही एक दिन के दौरे पर भारत आने वाले हैं. इस दौरे की अहमियत आप इसी बात से समझ सकते हैं कि ये उनका इस साल का केवल दूसरा दौरा है और इसके लिए उन्होंने भारत को चुना है.