होम, डिफेंस, रॉ और IB के अफसरों का बढ़ सकेगा कार्यकाल, केंद्र ने जारी किया नोटिफिकेशन
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होम, डिफेंस, रॉ और IB के अफसरों का बढ़ सकेगा कार्यकाल, केंद्र ने जारी किया नोटिफिकेशन

कार्मिक मंत्रालय (Ministry of Personnel) की अधिसूचना के मुताबिक, संशोधित नियम अब केंद्र सरकार को रक्षा सचिव, गृह सचिव, खुफिया ब्यूरो (IB) के निदेशक, रॉ के सचिव और ईडी व सीबीआई के निदेशकों को मामलों के आधार पर जनहित में विस्तार देने की अनुमति देते हैं.

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: केंद्र ने सीबीआई (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशकों के कार्यकाल को विस्तार देने और सेवाकालीन लाभ के संबंध में सोमवार को मूल नियमावली (FR) में संशोधन किया है. केंद्र द्वारा यह कदम उन अध्यादेशों को लागू करने के एक दिन बाद आया है, जिसने इसे मौजूदा दो वर्षों के मुकाबले सीबीआई और ईडी प्रमुखों के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने का अधिकार दिया है. विपक्षी दलों द्वारा अध्यादेशों की आलोचना किये जाने के बीच तृणमूल कांग्रेस ने इसे 'निर्वाचित तानाशाही' करार दिया है.

क्या है एफआर?

मूल नियमावली सभी सरकारी कर्मचारियों पर लागू होने वाले मार्गदर्शक सिद्धांत हैं जिनमें उनकी सर्विस के दौरान और रिटायरमेंट के बाद के वर्क सिनेरियो के सभी पहलु शामिल रहते हैं. एफआर के तहत कैबिनेट सचिव, बजट से संबंधित काम से जुड़े लोगों, प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, आईबी और रॉ प्रमुखों के अलावा सीबीआई निदेशक सहित कुछ अन्य को छोड़कर 60 साल की रिटायरमेंट की उम्र के बाद किसी भी सरकारी कर्मचारी की सेवा में विस्तार पर रोक होती है. कार्यकाल विस्तार भी सशर्त होता है.

यें हैं संशोधित नियम

कार्मिक मंत्रालय (Ministry of Personnel) की अधिसूचना के मुताबिक, संशोधित नियम अब केंद्र सरकार को रक्षा सचिव, गृह सचिव, खुफिया ब्यूरो (IB) के निदेशक, रॉ के सचिव और ईडी व सीबीआई के निदेशकों को मामलों के आधार पर जनहित में विस्तार देने की अनुमति देते हैं. इस शर्त के साथ कि ऐसे सचिवों या निदेशकों की कुल अवधि, 'दो वर्ष या संबंधित अधिनियम या उसके तहत बनाए गए नियमों में प्रदान की गई अवधि से अधिक नहीं हो.'

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विदेश सचिव FR के दायरे से बाहर

सोमवार की अधिसूचना में विदेश सचिव को एफआर के दायरे से बाहर किया गया और ईडी प्रमुख को शामिल किया गया, जिसमें मौजूदा कार्यकाल के सेवाकालीन लाभ को विस्तारित कार्यकाल में जारी रखने की परमीशन दी गई है. विदेश सचिव के पद को दिसंबर 2010 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत एक प्रस्ताव के बाद एफआर में शामिल किया गया था, जिसमें विदेश सचिव को सौंपे गए कार्यों के मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक नजरिए से महत्वपूर्ण बिंदुओं के अलावा निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी पर ध्यान केंद्रित किया गया था.

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