Kar Sewak Firing: स्वामी प्रसाद मौर्य के बिगड़े बोल, कार सेवकों पर फायरिंग को ठहराया जायज
Swami Prasad Maurya: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्योते का मुद्दा गरमाया हुआ है. कारसेवकों पर गोली चलाने वाली पार्टी से जुड़े लोगों को न्योता ना देने की अपील की गई है, इन सबके बीच समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि कार सेवकों पर गोली चलाना तत्कालीन सरकार का कर्तव्य पालन था.
Swami Prasad on Kar Sewak: कारसेवकों पर जब तत्कालीन सरकार ने गोली चलाने की आदेश दिया तो कानून सम्मत था. उस समय की सरकार ने वही किया जो कानून की हिफाजत के लिए जरूरी था. संविधान की रक्षा के लिए, अमन चैन बरकरार रहे इसके लिए फैसला लिया गया था. सरकार ने तो अपने कर्तव्यों का पालन किया था. यह कहना है समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का. उन्होंने कहा कि गलत और सही का सवाल नहीं है. सवाल यह है कि जब कारसेवक नियमों और व्यवस्था को धता बता अमन चैन खराब कर रहे थे. उस समय सरकार क्या करती. कारसेवकों ने आदेश को धता बता तोड़फोड़ की कोशिश थी.
'कम से कम एस पी सिंह बघेल ना कहें ये बात'
केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा था कि इस सच को कोई कैसे झुठला सकता है कि सपा सरकार के दौरान ही कारसेवकों पर गोलियां चली थीं. हालांकि कोई राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होना चाहेगा तो उसका स्वागत है. जब इस बारे में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उसे समय की सरकार ने न्याय की रक्षा करते हुए अपने कर्तव्य का पालन करते हुए गोली चलवाई थी क्योंकि बिना किसी न्यायिक निर्देश के अराजक तत्वों ने वहां पर तोड़फोड़ की थी. जहां तक बात एसपी सिंह बघेल की है तो वो उस समय समाजवादी पार्टी में थे. कम से कम उनको तो यह बात नहीं करनी चाहिए. उन्होंने मीडिया को भी गोदी मीडिया करार देते हुए कहा कि मीडिया निष्पक्ष बात नहीं कर पा रहा है मीडिया मात्र गड़े मुर्दे उखड़ता है मीडिया के जो लोग सत्ता पक्ष के लोगों से सवाल पूछते हैं तो उन्हें जेल भेज दिया जाता है.
बीजेपी कर रही है तानाशाही
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि बीजेपी सरकार तानाशाही कर रही है. बीजेपी सरकार का महंगाई पर ध्यान नहीं है. सवाल पूछने पर जवाब नहीं मिलता. बहस के लिए संसद बनी है.लेकिन क्या हो रहा है. जो लोग इस सरकार से सवाल करते हैं उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है. एक तरह से विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है. क्या यही लोकतंत्र है. क्या लोकतंत्र में बीजेपी की सरकार सिर्फ अपनी बात रखेगी, क्या विपक्ष के लोगों को अधिकार नहीं है कि वो अपनी बात रखें, वो जनता की परेशानियों का जिक्र करें.